नयी दिल्ली : रविवार से वित्तीय वर्ष 2018-19 शुरू होने जा रहा है. नये वित्तीय वर्ष की शुरुआत होने के साथ ही आपकी जेबें भी हल्की होनी शुरू हो जायेंगी. इसका कारण यह है कि नये वित्तीय वर्ष शुरू होने के साथ ही टैक्स से जुड़े कई नियम और कानून बदल जायेंगे. इसके साथ ही सभी सार्वजनिक वाहनों में जीपीएस ट्रैकिंग सिस्टम लगाना पड़ेगा और रविवार से ही कई चीजों की कीमतें भी बढ़ जायेंगी.
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मिनिमम बैलेंस शुल्क में छूट देगा एसबीआई
इसके साथ ही, एक अप्रैल से ही बैंक खातों का आधार से लिंक कराना अनिवार्य हो जायेगा. हालांकि, इसमें राहत देने वाली बात यह है कि देश के सबसे बड़े सरकारी बैंक एसबीआई की ओर से ग्राहकों को मिनिमम बैलेंस चार्ज में 75 फीसदी की छूट मिलने लगेगी.
रेलवे और डाकघरों में शुरू होंगी ये सुविधाएं
इतना ही नहीं, एक अप्रैल से ही देश के डाकघरों में भुगतान बैंकों की सुविधा भी शुरू हो जायेगी. इससे उसके ग्राहकों की संख्या में इजाफा होने की संभावना है. साथ ही एक अप्रैल में रेलवे का ऑनलाइन टिकट बुक करवाने में टैक्स की छूट मिलेगी. इससे रेल से ज्यादा सफर करने वाले लोगों को फायदा मिलेगा.
इलेक्ट्रॉनिक सामान हो जायेंगे महंगे
रविवार से इलेक्ट्रॉनिक्स महंगे हो जायेंगे, क्योंकि दूसरे देश से आयातित सामान पर सीमा शुल्क में बढ़ोतरी कर दी गयी है. इतना ही नहीं, पहले इलेक्ट्रॉनिक्स पर कस्टम टैक्स नहीं लगता था और अब दो फीसदी की बढ़े हुए शुल्क के चलते मोबाइल, फ्रिज, एलईडी, एसी, वॉशिंग मशीन वगैरह महंगे होंगे. साथ ही टाइल्स, हार्डवेयर का सामान 5 फीसदी तक महंगे हो सकते हैं.
एलटीसीजी पर 10 फीसदी टैक्स
लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन वित्त वर्ष 2018-19 के बजट में 14 साल के अंतराल के बाद शेयरों की बिक्री से 1 लाख रुपये से अधिक के कैपिटल गेन पर 10 फीसदी टैक्स (एलटीसीजी) लगाने का प्रस्ताव किया गया. फिलहाल, एक साल के भीतर शेयर बिक्री से होने वाले कैपिटल गेन पर 15 फीसदी टैक्स लगता है.
स्टैंडर्ड डिडक्शन हो जायेगी शुरू
सरकार ने इस साल के बजट में 40 हजार रुपये का स्टैंडर्ड डिडक्शन इनकम टैक्स और स्लैब को यथावत रखते हुए बजट में वेतनभोगियों और पेंशनभोगियों के लिए 40,000 रुपये का स्टैंडर्ड डिडक्शन की व्यवस्था की गयी है. इसके बदले 19,200 रुपये के ट्रांसपोर्ट अलाउंस और 15,000 रुपये तक के मेडिकल खर्च पर मिल रही छूट हटायी गयी है. इससे टैक्स बचत कम होने का अनुमान है.
250 करोड़ के सालाना कारोबार पर 25 फीसदी कॉर्पोरेट टैक्स
बजट में कॉर्पोरेट टैक्स के मामले में 250 करोड़ रुपये सालाना कारोबार वाली कंपनियों के लिए टैक्स की दर कम कर 25 फीसदी किया गया है. इस दायरे में 99 फीसदी कंपनियां आती हैं. वर्ष 2015 में जेटली ने चार साल में कंपनी कर को मौजूदा 30 फीसदी से घटाकर 25 फीसदी करने का वादा किया था.
वरिष्ठ नागरिकों को राहत
वरिष्ठ नागरिकों को राहत वरिष्ठ नागरिकों के लिए टैक्स से मुक्त ब्याज आमदनी की सीमा पांच गुना बढ़ाकर 50, 000 रुपये सालाना कर दी गयी है. इसी तरह इनकम टैक्स कानून की धारा 80 डी के तहत स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम पर किये गये भुगतान और मेडिकल खर्च पर टैक्स कटौती की सीमा भी 30,000 रुपये से बढ़ाकर 50,000 रुपये कर दी गयी है.
आयकरदाताओं पर चार फीसदी सेस का भार
रविवार से ही आयकरदाताओं अपनी आमदनी पर आयकर का भुगतान करते समय 3 फीसदी की जगह 4 फीसदी स्वास्थ्य और शिक्षा के लिए सेस देना होगा. इसके साथ ही कर के लायक 5 लाख रुपये तक की आमदनी पर 125 रुपये और 15 लाख रुपये की आमदनी पर 2,625 रुपये का अतिरिक्त भुगतान करना पड़ेगा. इसके साथ ही 5,000 रुपये तक मेडिकल री-इम्बर्समेंट और 19,200 रुपये यात्रा भत्ता टैक्स फ्री नहीं रहेगा.
म्यूचुअल फंड में डिविडेंड पर 10 फीसदी टैक्स
इक्विटी म्यूचुअल फंड कम्पनी निवेशक को डिविडेंड देते समय डिविडेंड पर 10 फीसदी टैक्स काटेगी. टैक्स जमा करने की जिम्मेदारी निवेशक की नहीं होगी. इसके अलावा, कई साल की सिंगल प्रीमियम पॉलिसी में हर साल बराबर अनुपात में टैक्स छूट मिलेगी. तीन साल के बीमा के लिए 45 हजार रुपये दिये हैं, तो तीनों साल 15 हजार रुपये पर टैक्स छूट मिलेगी.
1000 सीसी से कम इंजन वाली कारों का घटेगा बीमा प्रीमियम
रविवार से नया वित्तीय वर्ष शुरू होने के साथ ही 1000 सीसी से कम इंजन वाली कारों का प्रीमियम घटकर 1,850 रुपये हो जायेगा. इससे अधिक क्षमता के इंजन वाली कारों का प्रीमियम नहीं बदलेगा. 75 सीसी से कम इंजन वाले दोपहिया का प्रीमियम 569 रुपये से घटकर 427 रुपये हो जायेगा.
प्रॉपर्टी खरीद पर देना होगा सेस
शेयर बेचकर एक लाख रुपये से अधिक का मुनाफा मिलने पर 10 फीसदी दीर्घकालीन पूंजी लाभ कर (एलटीसीजी) और इस पर 4 फीसदी सेस लगेगा. एक साल में कैपिटल गेन एक लाख रुपये तक है, तो टैक्स नहीं लगेगा. एलटीसीजी से बचने के लिए प्रॉपर्टी रखने की समय सीमा तीन साल से घटकर 2 साल हो जायेगी. अगर आप 2 साल पुरानी सम्पत्ति बेचते हैं, तो 20 फीसदी की दर से टैक्स लगेगा. इसका पैसा अगर सूचीबद्ध बॉन्ड में निवेश किया जाता है, तो टैक्स छूट मिलेगी. एलटीसीजी में टैक्स का आकलन 1 अप्रैल, 2001 की कीमतों से होगा, यानी मुनाफा घटेगा. पहले आकलन 1 अप्रैल, 1981 की कीमतों पर होता था.
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