मुंबई : इंफोसिस के सह- संस्थापक और आधार योजना के मुख्य शिल्पी नंदन नीलेकणि का कहना है कि बैंकों के राष्ट्रीयकरण का ‘मूल तर्क’ अब समाप्त हो गया है. अब सरकारी बैंकों का निजीकरण उन्हें आगे ले जायेगा, जो करदाताओं के हित में है. कांग्रेस के टिकट से लोकसभा का चुनाव लड़ने वाले नीलेकणि ने कहा कि बैंकों का राष्ट्रीयकरण पांच दशक पहले किया गया था. उन्होंने कहा कि तब इसे करने की वजह इन बैंकों का ध्यान मुख्यत: बड़े उद्योगों पर था और वह छोटे उद्योगों की अनदेखी कर रहे थे. इन 21 सरकारी बैंकों को बड़ी कंपनियों को कर्ज देने का नुकसान हुआ था.
इसे भी पढ़ेंः इंफोसिस टेक्नोलाॅजी के चेयरमैन बनाये गये नंदन नीलेकणि, आर शेषसायी आैर रवि वेंकटेशन ने दिया इस्तीफा
नीलेकणि ने कहा कि अब इनके राष्ट्रीयकरण का मूल तर्क समाप्त हो चुका है. तो अब अधिकतर बैंकों को बाजार सिद्धांतों के आधार पर काम करना चाहिए, जो आम जनता के पैसों से चलते हैं. इसलिए हमें इनका निजीकरण करना चाहिए, हमें करदाताओं, राज्य और निजीकरण के विकल्प में किसे चुनना चाहिए उस पर ध्यान देना चाहिए. यदि सरकारी बैंकों की बाजार हिस्सेदारी 70 फीसदी से ऊपर हो तो हमें करदाताओं को तरजीह देनी चाहिए, लेकिन अब सरकारी बैंक अपनी बाजार हिस्सेदारी खो रहे हैं और अब से 10 साल बाद इनकी हिस्सेदारी10 फीसदी रह जायेगी, इसलिए हम निजीकरण का विकल्प अपना सकते हैं.
Disclaimer: शेयर बाजार से संबंधित किसी भी खरीद-बिक्री के लिए प्रभात खबर कोई सुझाव नहीं देता. हम बाजार से जुड़े विश्लेषण मार्केट एक्सपर्ट्स और ब्रोकिंग कंपनियों के हवाले से प्रकाशित करते हैं. लेकिन प्रमाणित विशेषज्ञों से परामर्श के बाद ही बाजार से जुड़े निर्णय करें.