GST और नोटबंदी के मार से उबर रही है इकोनॉमी, औद्योगिक उत्पादन 25 माह के उच्चतम स्तर पर

नयी दिल्ली : अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर आज अच्छी खबर रही.एक तरफ जहां औद्योगिक उत्पादन में वृद्धि दर जनवरी में बढ़कर 7.5 प्रतिशत पहुंच गयी, वहीं महंगाई दर फरवरी में कम होकर 4.4 प्रतिशत पर आ गयी. इससे उद्योग ने वृद्धि की गति बनाये रखने के लिये अगले महीने पेश होने वाली मौद्रिक नीति समीक्षा […]

By Prabhat Khabar Print Desk | March 13, 2018 8:52 AM

नयी दिल्ली : अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर आज अच्छी खबर रही.एक तरफ जहां औद्योगिक उत्पादन में वृद्धि दर जनवरी में बढ़कर 7.5 प्रतिशत पहुंच गयी, वहीं महंगाई दर फरवरी में कम होकर 4.4 प्रतिशत पर आ गयी. इससे उद्योग ने वृद्धि की गति बनाये रखने के लिये अगले महीने पेश होने वाली मौद्रिक नीति समीक्षा में नीतिगत दर में कटौती की मांग की है.

र‍िजर्व बैंक अगली मौद्रिक नीति समीक्षा पांच अप्रैल 2018 को करेगा. शीर्ष बैंक ने महंगाई दर में वृद्धि की आशंका में नीतिगत दर में कोई बदलाव नहीं किया. केंद्रीय सांख्यिकी संगठन (सीएसओ) के आंकड़े के अनुसार खाने-पीने की चीजें तथा ईंधन की लागत में कमी से खुदरा मुद्रास्फीति फरवरी में घटकर चार महीने के न्यूनतम स्तर 4.44 प्रतिशत पर पहुंच गयी. उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित खुदरा मुद्रास्फीति जनवरी में 5.07 प्रतिशत थी. हालांकि पिछले साल फरवरी में यह 3.65 प्रतिशत थी.
खुदरा महंगाई दर में कमी को देखते हुए उद्योग मंडल सीआईआई ने कहा, ‘‘इससे रिजर्व बैंक को नीतिगत दरों में कटौती का चक्र शुरू करने के लिए प्ररित होना चाहिए ताकि अर्थव्यवस्था में जो पुनरूद्धार दिखाई दे रहा है, उसे गति दी जा सके.’ आंकड़े के अनुसार, उपभोक्ता खाद्य खंड में महंगाई दर फरवरी में कम होकर 3.26 प्रतिशत रही जो इससे पिछले महीने में 4.7 प्रतिशत थी.
सब्जियों में मुद्रास्फीति पिछले महीने कम होकर 17.57 प्रतिशत रही जो जनवरी में 26.97 प्रतिशत थी. वहीं फलों की महंगाई दर आलोच्य महीने में 4.80 प्रतिशत रही जो इससे पूर्व महीने में 6.24 प्रतिशत थी। औद्योगिक उत्पादन की बात की जाए तो इसकी वृद्धि दर इस साल जनवरी में 7.5 प्रतिशत रही जो एक साल पहले इसी महीने में 3.5 प्रतिशत थी. इसका कारण विनिर्माण क्षेत्र के बेहतर प्रदर्शन के साथ उपभोक्ता और पूंजीगत वस्तुओं की अच्छी मांग है जिससे औद्योगिक वृद्धि को गति मिली.केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) के आंकड़े के अनुसार, औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) में वृद्धि दिसंबर 2017 में 7.1 प्रतिशत रही थी.
क्रिसिल ने कहा, ‘‘लगातार दूसरे महीने विनिर्माण क्षेत्र में वृद्धि इस बात का संकेत है कि उद्योग जीएसटी संबंधित बाधाओं से बाहर आ गया है तथा जो घरेलू एवं वैश्विक वृद्धि देखी जा रही है, उससे धीरे-धीरे पटरी पर आ सकता है.’इस साल जनवरी में आईआईपी वृद्धि का प्रमुख कारण विनिर्माण क्षेत्र का बेहतर प्रदर्शन है.सूचकांक में इस क्षेत्र की हिस्सेदारी 77.63 प्रतिशत है. इसमें आलोच्य माह में 8.7 प्रतिशत की वृद्धि हुई जो जनवरी 2017 में 2.5 प्रतिशत थी. यह अर्थव्यवस्था में पुनरूद्धार का संकेत देता है.
निवेश का आईना माने जाने वाले पूंजीगत सामान के उत्पादन में जनवरी 2018 में 14.6 प्रतिशत की वृद्धि हुई जबकि एक साल पहले इसी महीने में 0.6 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गयी थी. गैर-टिकाऊ उपभोक्ता सामान खंड में वृद्धि दर आलोच्य महीने में 10.5 प्रतिशत रही जो एक साल पहले जनवरी महीने में 9.6 प्रतिशत थी. इस खंड में रोजमर्रा के उपयोग के सामान शामिल हैं. वहीं उपभोक्ता टिकाऊ वस्तुओं की वृद्धि दर जनवरी 2018 में 8 प्रतिशत रही जबकि एक साल पहले इसी महीने में इसमें 2 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गयी थी.
हालांकि खनन क्षेत्र में नरमी दिखी और आलोच्य महीने में 0.1 प्रतिशत की वृद्धि हुई जबकि एक साल पहले जनवरी महीने में इसमें 8.6 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई थी. वस्तुओं के उपयोग के आधार पर देखा जाए तो प्राथमिक वस्तुओं की वृद्धि दर सालाना आधार पर जनवरी 2018 में 5.8 प्रतिशत रही.
वहीं मध्यमिक वस्तुएं बनाने वाले उद्योगों की वृद्धि दर आलोच्य महीने में 4.9 प्रतिशत तथा बुनियादी ढांचा : निर्माण क्षेत्र में काम आने वाली वस्तुएं बनाने वाले उद्योगों की वृद्धि दर 6.8 प्रतिशत रही. उद्योगों के संदर्भ में विनिर्माण क्षेत्र में इस साल जनवरी में 23 औद्योगिक समूह में 16 में सकारात्मक वृद्धि हुई. चालू वित्त वर्ष में अप्रैल-जनवरी के दौरान आईआईपी की वृद्धि दर 4.1 प्रतिशत रही जो इससे पूर्व वित्त वर्ष की इसी अवधि में 5 प्रतिशत थी.

Next Article

Exit mobile version