कच्चे तेल की कीमतों का देश के खजाने पर पड़ रहा है असर, घाटा 3.5 प्रतिशत रहने का अनुमान

नयी दिल्ली : वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बजट पेश करने के दौरान कहा कि राजकोषीय घाटा अनुमान थोड़ा बढ़कर 3.5 प्रतिशत रहेगा. बजट 2017-18 में इसको सकल घरेलू उत्पाद के 3.2 प्रतिशत तक सीमित रखने का लक्ष्य था. वित्त वर्ष 2018-19 में राजकोषीय घाटे को सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 3.3 प्रतिशत पर रखने […]

By Prabhat Khabar Print Desk | February 1, 2018 7:40 PM

नयी दिल्ली : वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बजट पेश करने के दौरान कहा कि राजकोषीय घाटा अनुमान थोड़ा बढ़कर 3.5 प्रतिशत रहेगा. बजट 2017-18 में इसको सकल घरेलू उत्पाद के 3.2 प्रतिशत तक सीमित रखने का लक्ष्य था. वित्त वर्ष 2018-19 में राजकोषीय घाटे को सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 3.3 प्रतिशत पर रखने का लक्ष्य तय किया गया है. हालांकि, राजकोषीय उत्तरदायित्व और बजट प्रबंधन कानून (एमआरबीएम) के तहत प्रस्तावित मध्यावधिक योजना के तहत यह लक्ष्य 3 प्रतिशत तक होना चाहिए था.

आर्थिक गतिविधियों पर पैनी निगाह रखने वाले स्वामीनाथन अय्यर ने कहा कि सरकार हर बार सरकार राजकोषीय घाटा को लेकर अपने लक्ष्यों में बदलाव करती है. जब राजकोषीय घाटा का लक्ष्य हासिल नहीं हो पाता है, तब तक किसी प्रकार का अनुमान नहीं लगाना चाहिए.
जेटली ने अपने बजट भाषण में राजकोषीय घाटे को नीचे लाने की प्रतिबद्धता को दोहराते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राजकोषीय अनुशासन पर बहुत बल देते हैं. उन्होंने कहा कि राजकोषीय घाटा वर्ष 2013-14 में 4.4 प्रतिशत से 2014-15 में 4.1 प्रतिशत, 2015-16 में 3.9 प्रतिशत और 2016-17 में 3.5 प्रतिशत तक लाया गया.
सरकार का घाटा बढ़ने से उसे बाजार से ज्यादा कर्ज लेना पड़ता और इसका असर ब्याज दरों तथा वृद्धि पर पड़ता है. नोटबंदी और जीएसटी का चालू वित्त वर्ष में अर्थव्यवस्था और सरकारी राजस्व पर असर रहा. इसके अलावा अंतराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में उछाल का भी राजकोष पर असर दिख रहा है. पूर्व राजस्व सचिव एन के सिंह की अगुवाई वाली एफआरबीएम समीक्षा समिति ने 2023 तक सरकारी रिण को जीडीपी के 60 प्रतिशत तक सीमित रखने की सिफारिश की है.

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