LIVE
लोकसभा चुनाव परिणाम-2024

WEF की बैठक में बोले राजन-आगे बढ़ने के लिए पश्चिमी देश उभरती दुनिया के साथ लाभों को साझा करें

दावोस : भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने मंगलवारको पश्चिमी देशों को समझाया कि वे उभरती अर्थव्यवस्थाओं के सहयोग के बिना बहुत आगे नहीं जा सकते. राजन ने आगाह किया कि यदि चीजों को जल्द दुरुस्त नहीं किया गया, तो कोई भी इस ‘बंटी’ दुनिया की समस्याएं हल नहीं कर सकता. विश्व […]

By Prabhat Khabar Print Desk | January 23, 2018 6:31 PM

दावोस : भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने मंगलवारको पश्चिमी देशों को समझाया कि वे उभरती अर्थव्यवस्थाओं के सहयोग के बिना बहुत आगे नहीं जा सकते. राजन ने आगाह किया कि यदि चीजों को जल्द दुरुस्त नहीं किया गया, तो कोई भी इस ‘बंटी’ दुनिया की समस्याएं हल नहीं कर सकता.

विश्व आर्थिक मंच (डब्ल्यूईएफ) की सालाना शिखर बैठक को संबोधित करते हुए राजन ने यहां किसी देश का नाम लिये बिना कहा कि पश्चिमी देशों को समझना चाहिए कि उनकी आबादी की आयु बढ़ रही है और उनके उत्पादों की मुख्य मांग उभरती दुनिया से ही आयेगी. उन्होंने कहा कि इस बात का जोखिम है कि जब पश्चिमी देश सहयोग के लिए उभरती दुनिया के पास जायें, तो उनसे इस तरह के कई सवाल पूछे जा सकते हैं कि पूर्व में उन्होंने लाभों को साझा क्यों नहीं किया. उन्होंने आगाह किया कि पश्चिमी देशों को अच्छे के लिए जल्द बदलना चाहिए, नहीं तो अंदेशा है कि हम इस ‘विखंडित’ दुनिया की किसी समस्या को हल नहीं कर पायेंगे.

राजन आर्थिक चर्चाओं की ताकत और नीति निर्माताओं के समक्ष 21 वीं सदी की चुनौतियों से निपटने के विकल्प, विषय पर एक सत्र को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने उदाहरण दिया कि सिंगापुर जैसे देशों ने आय असमानता तथा समाज में विभाजन से सामने आयी समस्याओं से निपटने के लिए ऐसी आवासीय परियोजनाएं बनायी हैं जिनमें मध्यम वर्ग और निम्न मध्यम वर्ग के परिवार एक साथ रह सकते हैं.

राजन ने कहा कि उन्हें अमेरिका के बारे में पता नहीं, लेकिन कुछ देश इस क्षेत्र में काम कर रहे हैं. निश्चित रूप से सरकारों की इसमें भूमिका है. स्पष्ट रूप से अपनी बात रखने के लिए प्रसिद्ध शिकागो विश्वविद्यालय के प्रोफेसर को 2007 में वैश्विक वित्तीय संकट का अनुमान लगाने का श्रेय दिया जाता है. राजन ने उन अर्थशास्त्रियों को भी आड़े हाथ लिया जो आर्थिक विवरण के विचार पर नकारात्मक रुख दिखाते हैं. उन्होंने कहा कि अब लोग चीजों को दुरुस्त करने के लिए उन पर भरोसा नहीं कर रहे हैं. उन्होंने चेताया कि अर्थशास्त्रियों के समक्ष आज अधिक दुश्कर कार्य है और उन्हें काफी सवालों का जवाब देना होगा. उन्होंने एक उदाहरण देते हुए कहा कि आज बिना चालक या ड्राइवर के कारों की बात हो रही है, लेकिन हमें इसके रोजगार पर पड़नेवाले असर का भी आकलन करना होगा.

Next Article

Exit mobile version