मुंबई : देश के बैंकों का कर्ज दबाकर बैठने वाले बड़े डिफॉल्टरों पर जल्द ही गाज गिरने वाली है. दूसरी सूची के 28 दबाव वालों खातों के लिए किसी तरह का समाधान न निकलने पर बैंकों ने 22-23 डूबे कर्ज के खातों को राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) को भेजने का फैसला किया है. एक बैंकर ने कहा कि इन कंपनियों में उत्तम गाल्वा स्टील, आईवीआरसीएल, रचि सोया इंडस्टरीज और एस्सार प्रोजेक्ट्स से जुड़े खाते हैं. रिजर्व बैंक की इन खातों का निपटान करने की समयसीमा बुधवार को समाप्त हो गयी.
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नियामक ने अगस्त में बैंकरों से कहा था कि यदि वे 31 दिसंबर तक इनके लिए कोई समाधान नहीं ढूंढ़ पाते हैं, तो वे उन्हें एनसीएलटी को भेज दें. इन खातों पर कुल मिलाकर 1.4 लाख करोड़ रुपये का कर्ज बकाया है. एक वरिष्ठ बैंक अधिकारी ने कहा कि अनरक एल्युमीनियम, जयसवाल नेको इंडस्ट्रीज, सोमा एंटरप्राइजेज और जयप्रकाश एसोसिएट्स को छोड़कर अन्य मामलों को निपटान के लिए एनसीएलटी के पास भेजा जा रहा है.
बैंकरों ने एशियन कलर कोटेड इस्पात, कास्टेक्स टेक्नोलाजीज, कोस्टल प्रोजेक्ट्स, ईस्ट कोस्ट एनर्जी, आईवीआरसीएल, आर्किड फार्मा, एसईएल मैन्युफैक्चरिंग, उत्तम गाल्वा मेटेलिक, उत्तम गाल्वा स्टील, वीजा स्टील, एस्सार प्रोजेक्ट्स, जय बालाजी इंडस्ट्रीज, मोनेट पावर, नागार्जुन आयल रिफाइनरी, रुचि सोया इंडस्ट्रीज और विंड वर्ल्ड इंडिया के मामलों को एनसीएलटी को भेजने का फैसला किया है.
बैंकरों ने जयसवाल नेको तथा सोमा एंटरप्राइज के लिए पुनर्गठन योजना तैयार की है. वहीं, अनरक एल्युमीनियम के मामले में बैंक एकबारगी निपटान का रास्ता तलाश रहे हैं.
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