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यमुना एक्सप्रेस – वे बेचने की तैयारी में जेपी एसोसिएट्स, कोर्ट ने पूछा – क्या यह आपका है ?

नयी दिल्ली : कर्ज के जंजाल में बुरी तरह से फंस चुके जेपी ग्रुप की तकलीफ हर रोज बढ़ती जा रही है. बताया जा रहा है कि जेपी ग्रुप अपना कर्ज चुकाने के लिए यमुना एक्सप्रेस-वे को बेचना चाहती है. गौरतलब है कि जेपी ने सुप्रीम कोर्ट में यमुना एक्सप्रेस – वे को बेचने के […]

नयी दिल्ली : कर्ज के जंजाल में बुरी तरह से फंस चुके जेपी ग्रुप की तकलीफ हर रोज बढ़ती जा रही है. बताया जा रहा है कि जेपी ग्रुप अपना कर्ज चुकाने के लिए यमुना एक्सप्रेस-वे को बेचना चाहती है. गौरतलब है कि जेपी ने सुप्रीम कोर्ट में यमुना एक्सप्रेस – वे को बेचने के लिए अतिरिक्त समय मांगा था. ग्रुप अपनी प्रॉपर्टी को बेचकर 2500 करोड़ रुपये जुटाना चाहता है. जेपी एसोसिएट्स की ओऱ से पेश वकील सिब्बल से सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि समूह अब इसे बेचना चाहता है.

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि यह ‘‘स्पष्ट किया जाना चाहिए’’ कि करोड़ों रुपये की लागत से बना छह लेन का यमुना एक्सप्रेसवे जेपी समूह का है या नहीं. दरअसल समूह अब इसे बेचना चाहता है.. आईईडीबीआई बैंक की ओर से पेश अधिवक्ता ने 165 किलोमीटर लंबे एक्सप्रेसवे को बेचने के आवेदनकर्ता कंपनी के प्रस्ताव पर आपत्ति जताई थी. इसके बाद चीफ जस्टिस न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने जेपी एसोसिएट्स के समक्ष यह सवाल रखा.
जेपी की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने पीठ को इस प्रस्ताव के बारे में जानकारी दी. लेकिन आईडीबीआई बैंक की ओर से पेश अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने सिब्बल के इस दावे का विरोध किया और दावा किया कि उन्हें एक्सप्रेसवे को बेचने की इजाजत नहीं दी जा सकती क्योंकि यह संपत्ति कंपनी की नहीं है.
सुप्रीम कोर्ट ने जेपी ग्रुप को अर्जी पर अटार्नी जनरल से राय देने को कहा
उच्चतम न्यायलय ने जेपी ग्रुप की अर्जी पर अटॉर्नी जनरल से राय देने को कहा है. अर्जी में कंपनी ने कहा है कि वह धन इकट्ठा करने के लिए करोड़ों के यमुना एक्सप्रेस वे प्रोजेक्ट से खुद को अलग करना चाहता है. जेपी असोसिएट्स ने कहा है कि उसके पास दूसरी कंपनी की 2,500 करोड़ की पेशकश है और उसने कोर्ट से गुहार लगाई है कि प्रोजेक्ट को किसी दूसरी कंपनी को देने की इजाजत दी जाए ताकि वह फंड इकट्ठा कर सके.

जेपी ग्रुप की तरफ से कहा गया कि हमारी प्राथमिकता ये है कि हम खरीदारों को फ्लैट मुहैया कराएं. मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि जेपी की अर्जी पर शुक्रवार को सुनवाई करेंगे जिसका आईडीबीआई बैंक की तरफ से पेश हुए अभिषेक मनु सिंघवी ने विरोध करते हुए कहा कि जेपी को शुक्रवार तक 2,000 करोड़ रुपये जमा कराने है ऐसे में मामले की सुनवाई पहले होनी चाहिए.
कर्ज में कैसे फंसना शुरू हुई जेपी ग्रुप
बुनियादी ढांचे, रियल एस्टेट और फॉर्मूला 1 रेसकोर्स के निर्माण से जब समूह कमाई नहीं कर पाया तो वह कर्ज के जाल में फंसता गया. लेकिन जेपी इस दुर्गति के लिए प्रमुख उद्योगों में मंदी तथा अर्थव्यवस्था की लचर स्थिति को जिम्मेदार ठहराता है. पिछले दो साल में जेपी ने कर्ज कम करने के लिए करीब 22,000 करोड़ रुपये की परिसंपत्तियां बेच डालीं, लेकिन कर्ज कम होने का नाम नहीं ले रहा है.

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