नयी दिल्ली : केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा है कि जीएसटी लागू हो जाने के कारण लोगों को अब डायलिसिस, हृदय रोगियों को पेसमेकर लगाने, आर्थोपेडिक्स में सहायक उपकरणों और कैंसर उपचार के लिए अधिक खर्च करना पड़ सकता है. मंत्रालय के जीएसटी प्रकोष्ठ ने जीएसटी और हेल्थ सेक्टर पर पड़नेवाले प्रभाव को लेकर अक्सर पूछे जाने वाले सवाल के जवाब में वेबसाइट पर यह जानकारी दी.
एक सवाल के जवाब में मंत्रालय ने कहा कि हालांकि जीएसटी के तहत जीवनरक्षक दवाइयां, स्वास्थ्य सेवाएं और स्वास्थ्य उपकरण टैक्स फ्री बने रहेंगे. जीएसटी के चलते किन-किन स्वास्थ्य सेवाओं की कीमतें बढ़ने की संभावना है, इस संबंध में पूछे सवाल के जवाब में मंत्रालय ने यह जानकारी दी. इन उपकरणों पर टैक्स में जीएसटी के कारण इजाफा होगा. सरकारी अफसरों के मुताबिक हेपेटाइटिस की पहचान के लिए इस्तेमाल होनेवाले उपकरण एवं रेडियोलॉजी मशीनों पर जीएसटी का टैक्स नहीं है. डायलिसिस और डायग्नोसिस किट महंगे होने के कारण उपचार अधिक खर्चीला हो जायेगा.
देश में मेडिकल टूरिज्म बढ़ने की संभावना
जीएसटी लागू होने के बाद स्वास्थ्य पर्यटन बढ़ने की संभावना है, जीएसटी लागू होने से बीमा, फार्मास्युटिकल और अंतरराष्ट्रीय पर्यटन की लागत में गिरावट आने की संभावना है, नतीजतन देश में स्वास्थ्य पर्यटन के लिए बेहतर संभावनाएं होंगी. स्वास्थ्य मंत्रालय ने जीएसटी के लिए नोडल अधिकारी नियुक्त किया है. यह सभी हितधारकों तक सूचना पहुंचाने एवं उनकी चिंताओं के समाधान के लिए काम कर रहा है.
सप्लाई में बाधा नहीं: वनजा सरना
केंद्रीय उत्पाद एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीइसी) चेयरपर्सन वनजा सरना ने कहा है कि जीएसटी लागू होने के बाद कीमतों में किसी भी असामान्य तेजी पर शुरुआत में ही अंकुश लगाने के लिए सरकार आटे से लेकर चाय तक दो दर्जन से अधिक आवश्यक वस्तुओं के रोजाना मूल्यों में बदलाव पर कड़ी नजर रख रही है. जीएसटी के बाद कीमत नियंत्रण में हैं. सप्लाई में बाधा की कोई भी बड़ी घटना सामने नहीं आयी है.
जीएसटी का सुगम क्रियान्वयन
जेटली ने कहा कि जीएसटी का क्रियान्वयन सुगम तरीके से हुआ है. बिना अवरोध के इसे लागू किया गया. उन्होंने इस बात को खारिज किया कि जीएसटी के तहत व्यापारियों का रजिस्ट्रेशन बहुत कम हुआ है. बड़ी संख्या में पंजीकरण हुए हैं.
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