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मुद्रास्फीति को लक्ष्य बनाने की नीति पर बातचीत जारी : राजन

मुंबई : रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम जी राजन ने आज कहा कि केंद्रीय बैंक ने अभी मुद्रास्फीति को लक्ष्य बनाने के दौर में कदम नहीं रखा है इस विषय में सरकार से बातचीत हो रही है. पर उन्होंने दोहराया कि वह खुदरा मुद्रास्फीति पर निशाना साधने को तरजीह देते हैं. यहां आरबीआई के इंदिरा […]

मुंबई : रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम जी राजन ने आज कहा कि केंद्रीय बैंक ने अभी मुद्रास्फीति को लक्ष्य बनाने के दौर में कदम नहीं रखा है इस विषय में सरकार से बातचीत हो रही है. पर उन्होंने दोहराया कि वह खुदरा मुद्रास्फीति पर निशाना साधने को तरजीह देते हैं.

यहां आरबीआई के इंदिरा गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ डेवलपमेंट रिसर्च के दीक्षांत समारोह में गवर्नर ने कहा, हमने मुद्रास्फीति को लक्ष्य बनाने के दौर में प्रवेश नहीं किया है. उर्जित पटेल समिति ने इसी तरह का सुझाव दिया है. उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित मुद्रास्फीति को महंगाई के खिलाफ लडाई का दिशासूचक स्वीकार किये जाने के बारे में उन्होंने कहा, हमें संभवत: डब्ल्यूपीआई (थोक मूल्य सूचकांक) के बजाय सीपीआई (खुदरा मूल्य सूचकंाक) पर ध्यान देना चाहिए.

उन्होंने कहा, रिजर्व बैंक ने यह कहा है कि हम उर्जित पटेल की रिपोर्ट की सिफारिशों पर गौर कर रहे हैं और इससे संबद्ध कुछ पहलुओं के बारे में सरकार के साथ चर्चा करनी है. राजन ने कहा, हमें इससे संबद्ध कुछ पहलुओं पर सरकार के साथ विचार-विमर्श करने की जरुरत है. इसमें मौद्रिक नीति समिति का गठन और मुद्रास्फीति लक्ष्य, अगर कोई है, जैसी चीजें शामिल हैं.

खुदरा मुद्रास्फीति पर उन्होंने कहा, हमें सीपीआई को नीचे लाने की जरुरत है. यह चाहे जिस स्तर पर भी हो, इस साल के अंत तक इसे 8 प्रतिशत और अगले साल के अंत तक छह प्रतिशत पर लाने का रास्ता निकालना है. पटेल रिपोर्ट में मुद्रास्फीति के लक्ष्य के लिए डब्ल्यूपीआई की जगह सीपीआई मुद्रास्फीति को आधार बनाने का सुझाव दिया गया है. रिपोर्ट इस साल जनवरी में जारी की गयी.

रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर उर्जित पटेल ने अपनी रिपोर्ट में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति को अगले वर्ष जनवरी तक 8 प्रतिशत और जनवरी 2016 तक 6 प्रतिशत लक्ष्य निर्धारित करने का प्रस्ताव किया है.

मुद्रास्फीति सतत रुप से नीचे रखने का आह्वान करते हुए राजन ने कहा कि दुनिया भर में लोगों ने यह पाया है कि मुद्रास्फीति अगर बढती है तो इससे अंतत: लागत बढती है और उसका कोई लाभ नहीं होता. उन्होंने वृद्धि और मुद्रास्फीति के लक्ष्यों के बीच परस्पर विरोध की बात को खारिज किया और कहा कि दीर्घकाल में दोनों के बीच परस्पर विरोध नहीं देखा गया है.

राजन ने कहा, दीर्घकाल में लोग चीजों को समझेंगे. आप उन्हें (लोगों) मूर्ख नहीं बना सकते और आप कोई अतिरिक्त वृद्धि प्राप्त नहीं करते. आपको वृद्धि अन्य चीजों से मिलती है न कि मुद्रास्फीति बढाने से. हालांकि उन्होंने कहा कि मुद्रास्फीति को लगातार काबू में किये जाने के उपायों से अल्पकाल में वृद्धि पर थोडा बहुत असर पड सकता है.

राजन ने कहा, अल्पकाल में वृद्धि के संदर्भ में मुद्रास्फीति को नीचे लाने की लागत हो सकती है. लेकिन दीर्घकाल में महंगाई दर को नीचे लाना अच्छी चीज है और यह सतत वृद्धि में मदद करती है.

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