वेब सीरीज के जाल में फंस रहे यंगस्टर्स, जानें क्या है नुकसान

-इंटरनेट एडिक्शन की बड़ी वजहों में शामिल हुई वेब सीरीज समय की नहीं होती कोई पाबंदी-25 से 45 मिनट तक होती है इसकी अवधि-15 से 30 वर्ष के युवा हो रहे शिकारपिछले कुछ सालों में इंटरनेट की स्पीड और सस्ते डेटा पैक ने आम जीवन में बेतरतीब तरीके से दखल दिया है. यूं कहें कि […]

By Prabhat Khabar Print Desk | March 1, 2019 11:09 AM

-इंटरनेट एडिक्शन की बड़ी वजहों में शामिल हुई वेब सीरीज समय की नहीं होती कोई पाबंदी
-25 से 45 मिनट तक होती है इसकी अवधि
-15 से 30 वर्ष के युवा हो रहे शिकार
पिछले कुछ सालों में इंटरनेट की स्पीड और सस्ते डेटा पैक ने आम जीवन में बेतरतीब तरीके से दखल दिया है. यूं कहें कि इसने हर उम्र के लोगों की रूटीन लाइफ को ट्रैक से हटाया है. इससे ज्यादा प्रभावित युवा वर्ग ही हुआ है. 15 से 30 वर्ष के युवा इसके ज्यादा शिकार हो रहे हैं. अब तक इंटरनेट एडिक्शन की बड़ी वजह गेमिंग को माना जाता था, पर हाल में मीडिया में आयी रिपोर्ट के मुताबिक वेब सीरीज भी इंटरनेट एडिक्शन की बड़ी वजहों में शामिल हो गयी है. वेब सीरीज देखने के लिए युवा घंटों गुजार रहे हैं, इस वजह से कई तरह के बदलाव भी दिख रहे हैं. इसके बारे में बता रही हैं जूही स्मिता…

पटना : फिल्म व टीवी से अलग होती है वेब सीरीज- वेब सीरीज की दुनिया फिल्मों और टीवी सीरियल से इतर होती है. वेब की दुनिया में यह ऐसा मनोरंजक कंटेट होता है, जो किसी फॉर्मेट में बंधा नहीं होता. एक वेब सीरीज में आठ या दस एपिसोड होते हैं. यह सीरीज अलग-अलग कहानी पर आधारित होती है. एक एपिसोड की अवधि 25 से 45 मिनट तक की होती है. डिजिटल प्लेटफॉर्म पर इन्हें कई बार एक साथ तो कई बार हर हफ्ते में एक एपिसोड की तरह लांच किया जाता है.

इसलिए दीवाने हो रहे युवा-इंटरनेट में लंबा समय बिताने वाले युवाओं की माने तो वेब सीरीज के दीवाने होने के पीछे की कई वजह होती हैं. वेब सीरीज में समय की कोई पाबंदी नहीं होती है. इसकी कहानियां छोटी-छोटी होती हैं और हाथ में गुणवत्तापूर्ण स्मार्टफोन आ जाने की वजह से इसे कहीं से भी देखा जा सकता है. सबसे अच्छी बात तो यह है कि फोन में इसे घर बैठे, बाहर, अपने दोस्तों को इंतजार करते हुए देख सकते हैं. अब तक विभिन्न प्लेटफॉर्म पर जिस तरह की कहानियों के साथ वेब सीरीज आ रही है, उसमें सेंसरशिप नहीं होती. अनसेंसर्ड वीडियो होने की वजह से युवा इसके दीवाने बनते जा रहे हैं. इसकी कहानियां लीक से हट कर और पूरी तरह से फ्रेश होती हैं.

बिहेवियर एडिक्शन के हो रहे हैं शिकार

इंटरनेट एडिक्शन के चलते युवा हो रहे प्रॉब्लेमेटिक इंटरनेट यूज्ड(पीआइयू) के शिकार हो रहे हैं. इससे पीड़ित लोग अवास्तविक दुनियां में जीते हैं. एक घर में रहने के बावजूद इस समस्या से जूझ रहे लोग अापस में बातचीत नहीं करते हैं. बिहेवियर एडिक्शन भी इसमें शामिल है. यह एडिक्शन एक नशे की तरह है. जब तक इसके शिकार पूरी सीरीज नहीं देख लेते, उनका मन किसी दूसरे काम में नहीं लगता है.

लगातार चलती हैं वेब सीरीज

विशेषज्ञों के अनुसार, कई वेब सीरीज लगातार चलती हैं. इससे इन्हें देखने वाला अपने सभी काम छोड़कर उसी में लग जाता है. वहीं, वेब एडिक्शन से पीड़ित ऑफिस में भी उन्हीं कार्यक्रमों के बारे में सोचता रहता है. इससे उनका काम प्रभावित होता है. कई युवा ऐसे भी हैं जो छुट्टी के दिन ज्यादातर समय वेब सीरीज देखने में बिताते हैं.

वेब सीरीज बना रही बीमार

क्या है वेब एडिक्शन

दिन में या फिर रात में देर तक अकेले बैठकर अपने मोबाइल या लैपटॉप पर फिल्म या सीरियल देखना, सोशल नेटवर्किंग साइट पर अपनी स्थिति अपडेट करना और किसी के साथ चैट करने में लगातार व्यस्त रहना आदि. विशेषज्ञों के मुताबिक यही वेब एडिक्शन है.

क्या है नुकसान

अवसाद, चिड़चिड़ापन, एक्यूट साइकोसिस

नींद न आना, शारीरिक कमजोरी

सामाजिक और पारिवारिक समस्याएं, अलगाव

मोटापा, मानसिक बीमारियां

पढ़ने में मन न लगना, हमेशा वेब सीरीज के चरित्रों के बारे में सोचना

ऐसे बचाव करें

वेब सीरीज या अन्य कार्यक्रम देखने के लिए प्रत्येक एक घंटे के बाद आधे घंटे का आराम लें

देर रात तक इसे देखने से बचें, मोबाइल बेड पर लेकर न सोएं

वेब सीरीज या इंटरनेट पर उपलब्ध कार्यक्रम 3-4 घंटे से अधिक न देखें

आठ घंटे की नींद जरूरी, इससे कम होने पर कई तरह की मानसिक बीमारी हो सकती है

मन को शांत करने के लिए योग करें
केस 1
रोहन(काल्पनिक नाम) जो स्कूल में पढ़ाई करता है. स्कूल से आते ही अपनी मम्मी के फोन पर अपनी पसंद की सीरीज देखना शुरू कर देता था. खाना तक नहीं खाता था. उस सीरीज मौजूद किरदारों की तरह बर्ताव करता है. रात में नींद आना, चिड़ापन, अवसाद आदि का शिकार होने लगा. घर पर अपने पिता से काफी बहस होती थी, नौबत यह आ गयी कि इनके बीच कई-कई दिनों तक संवाद नहीं होता था. अभी इसकी काउंसेलिंग चल रही है.

केस 2
भूतनाथ रोड के रहने वाले रोशन(काल्पनिक नाम) को हॉरर वेब सीरीज देखना बेहद पसंद था. कॉलेज में भी उसे समय मिलता तो सीरीज को देखना नहीं भूलता था. लगातार देखने की वजह उसके मन यह डर बैठ गया कि उसके आस-पास कोई है, पायल की आवाज सुनायी देती थी. डर की वजह से कॉलेज जाना छोड़ दिया. अभी काउंसेलिंग चल रही है.

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