मां के दूध से बच्चे के शारीरिक और मानसिक विकास के लिए संपूर्ण आहार प्राप्त होता है. बावजूद स्तनपान से जुड़े कई मिथक हैं जिन पर लोग अभी भी विश्वास करते हैं.
World Breastfeeding Week | unsplash
मिथक - बहुत आसान है स्तनपान कराना एक महिला जो पहली बार मां बनी है उसे स्तनपान कराने के लिए समय, समर्थन और अभ्यास की जरूरत होती है. इसमें थोड़ा वक्त लगता है इसलिए एक मां जब बच्चे को अपना दूध पिला रही हो तो घर के बाकी सदस्यों को अन्य कार्यो में उसका सहयोग करना चाहिए.
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मिथक- नॉर्मल है स्तनपान के दौरान दर्दडिलीवरी के बाद कई महिलाएं ये मान लेती हैं कि दूध पिलाने के दौरान असुविधा या दर्द का अनुभव होना सामान्य है. लेकिन कई बार गलत अटैचमेंट के कारण भी दर्द होता है. डॉक्टर की मदद से इस स्थिति को ठीक किया जा सकता है ताकि क्रेक निपल्स की स्थिति में सुधार लाया जा सके.
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मिथक- मां को आराम मिले इसलिए नवजात को अलग सुलाएंकई घरों में प्रसव के बाद नवजात को मां से अलग रखने लगते हैं ताकि मां आराम कर सके लेकिन सच तो यह है कि नवजात को मां के साथ रखना चाहिए. जन्म के तुरंत बाद बच्चे को स्किन कॉन्टैक्ट या कंगारू मदर केयर देना बहुत जरूरी है.
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मिथक - मां बीमार है तो बच्चे को दूध नहीं पिलाना चाहिएस्तनपान कराने वाली महिला के बीमार होने पर अक्सर स्तनपान नहीं कराने को कहा जाता है लेकिन अगर मां बुखार, खांसी और सर्दी जैसे संक्रमण से पीड़ित है तो उसे स्तनपान कराना जारी रखना चाहिए क्योंकि दूध पिलाने से बच्चे तक एंटीबॉडी पहुंचता है जो बच्चे को संक्रमण से बचाती है. हालांकि टीबी, कोविड और एचआईवी जैसी स्थितियों वाली माताओं को डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए.
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मिथक- स्तनपान कराने वाली मां कोई दवा नहीं ले सकती.स्तनपान कराने वाली मां को दवा लेने की स्थिति में डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए लेकिन ऐसा नहीं है कि वो कोई दवा नहीं ले सकती. स्तनपान के दौरान कुछ दवाएं सुरक्षित और कुछ असुरक्षित होती है इसलिए दवा लेने की सही खुराक के बारे में उचित मार्गदर्शन लेना चाहिए.
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