World Book Day 2021: Coronavirus के इस दौर में मनुष्य का सच्चा दोस्त बन सकती है पुस्तकें, जानिए इस तारीख की दिलचस्प कहानी

Prabhat khabar Digital

23 अप्रैल 1564 को शेक्सपीयर का निधन हुआ था, इसलिए यूनेस्को ने 1995 और भारत सरकार ने 2001 में 23 अप्रैल के दिन को विश्व पुस्तक दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की

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गूगल पर दुनिया को ढूंढ तो सकते हैं पर संजो कर रख नहीं सकते. सब कुछ यंत्रवत है पर यही यंत्र यदि धोखा दे गया तो आपका लिखा खा जाता है. पर पुस्तकों में लिखा मिट नहीं सकता, इसलिए वे सच्चा दोस्त साबित होती हैं

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कोरोना काल के दौरान मनुष्य के सच्चे दोस्त के रुप में पुस्तकों ने फिर एक बार साथ दिया है. खुद को या तो आइसोलेट कर किताबों का साथ पाना इस दौर में ढाढस देता है<br>

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बदलते युग में तकनीक की घुसपैठ के कारण किताबों के पठन में भारी गिरावट देखने को मिली है. अधिकतर युवा अब फेसबुक, वॉट्सएप तथा इंटरनेट पर अपना समय गुजारना पसंद करते हैं

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पाठकों को अधिक से अधिक अच्छी किताबें पढ़ने के लिए और ज्ञान हासिल करने के लिए पुस्तक दिवस मनाया जाता है. आज के दौर में तो किंडल के रुप में भी किताबों को हाइटेक तरीके से पढ़ा जा रहा है

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किताबों से बुद्धि का विकास का होता है तथा हम महान लोगों से चिर-परिचित होकर उनके पदचिन्हों पर चलने की प्रेरणा लेते हैं

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पुराने लेखक जहां अपने अनुभव साझा करते हैं, वहीं नवीनतम लेखकों को इस दिन अच्छी किताबें लिखने के लिए भी प्रोत्साहित किया जाता है

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