राकेश टिकैत ने माना, किसानों के विरोध का समाधान बातचीत से ही संभव, तो फिर भारत बंद क्यों?

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कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग करते हुए किसानों ने आज भारत बंद का आह्वान किया था. आज ही के दिन पिछले साल राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने संसद से पास कृषि कानूनों को अपनी मंजूरी दी थी. इसलिए विरोध स्वरूप आज ही के दिन किसानों ने देश भर में बंद का आह्वान किया था.

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देश भर में 10 घंटे के बंद के कारण विभिन्न हिस्सों में कई ट्रेनों को रद्द कर दिया गया. विशेष रूप से उत्तर भारत में प्रदर्शनकारियों ने राजमार्गों और प्रमुख सड़कों को अवरुद्ध कर दिया. प्रदर्शन के कारण कई इलाकों में हजारों लोग घंटों तक फंसे रहे.

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किसानों का आंदोलन तीन कानूनों, कृषि क्षेत्र के निजीकरण के खिलाफ और फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर कानूनी गारंटी दिए जाने की मांग को लेकर है.

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किसान नेताओं ने घोषणा की थी कि मोदी नगर का राज टॉकीज चौराहा अवरुद्ध किया जाएगा, इसलिए वाहनों को परतापुर, मेरठ से एक्सप्रेस-वे की ओर मोड़ दिया गया.

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राकेश टिकैत ने आज कहा कि मुझे नहीं पता कि इस विरोध का अंत क्या होने वाला है लेकिन आंदोलन शुरू हो गया है और खेती से जुड़े मुद्दों पर अक्सर चर्चा से दूर रहने वाले देश के युवा भी इसमें शामिल हो रहे हैं.

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टिकैत ने कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) के बैनर तले 10 महीने से जारी प्रदर्शन रोटी को बाजार की वस्तु बनने और कृषि क्षेत्र के निजीकरण के प्रयास को रोकने के लिए है.

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केंद्र के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ जारी विरोध का समाधान केवल बातचीत के माध्यम से निकल सकता है, न कि अदालतों में.

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