देवों की धरती कहे जाने वाले देवरिया जिला मुख्यालय से महज 40 किलोमीटर दूरी पर स्थित मईल से सटे सरयू नदी के तट पर देवरहा बाबा ने आश्रम बनाया और लोगों के कल्याण के लिए काम किया.
देवरहा बाबा | सोशल मीडिया
देवरहा बाबा अपने मचान से छोटे से लेकर बड़े लोगों तक को अपने पैर के अंगूठा से आशीर्वाद दिया करते थे. महान संत, सिद्ध पुरुष, कर्मयोगी देवरहा बाबा देवरहा बाबा को कई तरह की सिद्धियां प्राप्त थी.
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कहा जाता है कि बाबा धरती ही नहीं बल्कि पानी पर भी चलते थे और व्यक्ति को देख उसकी मन की बात पढ़ लेते थे. बाबा में जानवरों के मन की बातों को समझने की भी अद्भुत शक्ति थी.
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देश-विदेश से लेकर बड़ी-बड़ी हस्तियां और राजनेता बाबा से मिलने और उनका आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए लालायित रहती थीं.
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1977 के लोकसभा चुनाव में बुरी तरह मात खाने के बाद पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी समेत कई दिग्गज नेता आशीर्वाद लेने के लिए देवरहा बाबा के आश्रम पर पहुंचे. बाबा से जो भी मिलने जाता था, उसे वे हाथ उठा कर आशीर्वाद देते थे.
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उन्होंने इंदिरा गांधी को भी दर्शन के बाद उसी अंदाज में हाथ उठा कर आशीर्वाद दिया. बताया जाता है कि वहां से लौटने के बाद इंदिरा गांधी ने कांग्रेस का चुनाव चिह्न गाय-बछड़ा की जगह पंजा करने के लिए चुनाव आयोग से आग्रह किया.
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आयोग ने पंजा चुनाव चिह्न कांग्रेस को आवंटित कर दिया. देवरहा बाबा के आशीर्वाद और पंजा चुनाव चिह्न मिलने के ढाई साल बाद हुए लोकसभा के मध्यावधि चुनाव में इंदिरा गांधी ने पूरे दमखम से सत्ता में वापसी की थी. इसी के बाद से वही चुनाव चिह्न आज तक चल रहा है.
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