Meenakshi Rai
World Organ Donation Day 2023: अंगदान जीवनदान है. किसी भी इंसान की मौत के बाद अगर उसके अंग दूसरे को जीवन दे सके तो इससे बड़ा दान कुछ और नहीं हो सकता है. कुछ अंग ऐसे भी हैं जिसमें से एक हम अपने जीवन काल में भी दान कर दूसरे किसी की जिंदगी बचा सकते हैं जैसे दो किडनी में एक किडनी.
किडनी, हार्ट, अग्न्याशय, आंखें, फेफड़े जैसे अंग दान करने से उन लोगों के जीवन को बचाने में मदद मिल सकती है जो पुरानी बीमारियों से पीड़ित हैं.
डॉक्टर जिस व्यक्ति को ब्रेन डेड घोषित कर देते हैं उनका अंग दान किया जा सकता है. यह व्यक्ति किसी भी उम्र का हो सकता है. जन्म से लेकर 65 साल तक के व्यक्ति के अंगों को डोनेट किया जा सकता है.
दुनिया का पहला अंगदान साल 1954 में किया गया था. रोनाल्ड ली हेरिक नाम के एक व्यक्ति ने अपने जुड़वां भाई को साल 1954 में अपनी एक किडनी दान की थी. यह किडनी ट्रांसप्लांट डॉक्टर जोसेफ मरे ने किया. जिसके लिए 1990 में डॉक्टर जोसेफ मरे को फिजियोलॉजी मेडिसिन में नोबेल पुरस्कार भी मिला था.
अंग दान के दो रूप हैं, जीवित दान उन दाताओं के साथ किया जाता है जो जीवित हैं और किडनी और लीवर का एक हिस्सा जैसे अंग दान कर सकते हैं.
मनुष्य एक किडनी से जीवित रह सकता है और शरीर में लीवर ही एकमात्र ऐसा अंग है जो खुद को पुन उत्पन्न करने के लिए जाना जाता है, जिससे इन अंगों को प्रत्यारोपित किया जा सकता है जबकि दाता भी जीवित रहता है.
अंगदान के दूसरे रूप को शवदान के रूप में जाना जाता है. इस प्रक्रिया में, दाता की मृत्यु के बाद, उसके स्वस्थ अंगों को एक जीवित व्यक्ति में प्रत्यारोपित किया जाता है.
अंगदान इंसानियत की सेवा की मिसाल है. यह मानविकी दया क्रिया दूसरों की जिंदगी को बेहतर और व्यक्तियों को अपने समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने में मदद करती है.