Sammekhem Nagraja Temple: इस मंदिर में दूर होता है कालसर्प दोष, जानें भगवान नागराजा मंदिर के बारे में

Shaurya Punj

उत्तराखंड के टिहरी जिले का प्रसिद्ध श्री कृष्ण भगवान नागराजा मंदिर देश विदेश में प्रसिद्ध है. इस  मंदिर को उत्तराखंड का पांचवा धाम भी कहा जाता है.

Sammekhem Nagraja Temple | Prabhat Khabar Graphics

 उत्तरकाशी से तलबला और वहां से करीब 3 किलोमीटर पैदल सफर तय कर सेम मुखेम नागराजा मंदिर में पहुंचा जा सकता है. 3 किलोमीटर के इस पैदल ट्रैक में आपको आनंदित करने वाले घने जंगल, जिसमें बांज,बुरांश,केदार पत्ती के खूबसूरत वृक्ष दिखाई देंगे.

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ऐसी मान्यता है कि जिनकी कुंडलियों में कालसर्प दोष होता है, वह भगवान नागराजा मंदिर  पर अपनी पूजा करा कर कालसर्प के दोष से मुक्ति पाते हैं.

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 जब भगवान श्रीकृष्ण गेंद लेने के लिए नदी में उतरे तो कालिया नाग ने उन पर आक्रमण किया, श्रीकृष्ण ने उसका सामना किया और कालिया नाग को हारना पड़ा. तब भगवान ने कालिया नाग को वहाँ से भागकर सेम मुखेम में जाने को कहा, प्रभु की महता को देखकर कालिया नाग ने उनसे सेम मुखेम में दर्शन देने की विनती की.

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भक्त प्रमोद उनियाल ने कहा कि वास्तव में यहां पर भगवान कृष्ण का वास है. चारों तरफ हरियाली ही हरियाली है. पूरी पर्वत श्रृंखला यहां पर हैं. आश्चर्य की बात है कि यहां पर एक ऐसी शिला है जिसे हम ताकत लगाकर नहीं हिला सकते.

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 यहां पर देश विदेशों के भक्त दर्शन करने आते हैं और पूजा पाठ करते हैं. हमारी सरकार से मांग है कि मंदिर तक पहुंचने के लिए रोपवे का निर्माण किया जाये. जिससे बुजुर्ग पर्यटकों को चढ़ाई न चढ़नी पड़े.

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