Shaurya Punj
अगर आपको फोटोशूट करवाने का शौक है तो ये सीजन में आप बेहतरीन फोटो ले सकते हैं, सेल्फी खींच सकते हैं. इन दिनों झारखंड में कास नामक घास में फूल आने लगे हैं. अगर आपका प्लान झारखंड घूमनें का है, तो यहां भी आप फोटोशूट करवा सकते हैं.
कास फूल प्राचीन काल से चली आ रही मान्यताओं के अनुसार वर्षा के बूढ़े होने अर्थात कम होने के संकेत मिलने शुरू हो जाते हैं.
वर्षा ऋतु के समापन एवं शरद ऋतु के आगमन के दौरान ऊंचे पहाड़ी इलाकों, खेतों की मेढ़ों व नदियों के तट पर काश के फूल लहराते नजर आते हैं.
कास फूल नदी किनारे जलीय भूमि, बलूई सूखे इलाकों, पहाड़ी एवं ग्रामीण क्षेत्र में टीले रूपी हर स्थानों पर देखे जा सकते हैं. लेकिन नदी के तटीय इलाकों में काश फूल ज्यादा उगते हैं.
आपको बता दें कास फूल एक तरह की घास की प्रजाति है.
बड़ी संख्या में लोग इन कास के फूलों के साथ फोटो सेशन भी कर रहे हैं. अमूमन देखा जाता है कि कास के ये फूल सितंबर के अंतिम सप्ताह से लेकर अक्टूबर के पहले सप्ताह में उगते हैं.
शारदीय उत्सव के शुरू होने से पहले ही कांस के फूल लोगों को खूब रिझाते हैं. दुर्गापूजा में कास के फूलों का विशेष महत्व है. माना जाता है कि कास के फूलों से शुद्धता आती है.
बंगाल के दुर्गापूजा में काश के फूल को खास महत्व दिया जाता है. यहां दुर्गापूजा से संबंधित कोई भी रचनाएं, पुस्तिकाएं या विज्ञापन ही क्यों न हो, इसमें माता की तस्वीर के साथ काशफूल और ढाकी अवश्य होती है.