Prabhat khabar Digital
दो वर्ष बाद रांची के मोरहाबादी मैदान में टुसू का उल्लास दिखा. राष्ट्रीय कुरमाली भाषा परिषद द्वारा आयोजित महोत्सव में ईचागढ़, बुंडू, तमाड़, सिल्ली, सोनहातू, राहे, नामकुम आदि जगहों के सैकड़ों लोग शामिल हुए. महिलाएं माथे पर चौड़ल लेकर पहुंची. लोग पारंपरिक वेशभूषा पहनकर मोरहाबादी मैदान पहुंचे. चारों तरफ ढोल-मांदर की गूंज थी. हर कोई थिरक रहा था. परिषद के अध्यक्ष डाॅ राजाराम महतो और डाॅ नीना महतो ने विधि-विधान के साथ पूजा-अर्चना की.
कुड़ियाम का टुसू महोत्सव में 26 चौड़ल शामिल हुए. कुड़ियाम का 250 फिट ऊंचा चौड़ल आकर्षण का केंद्र रहा. इसके अलावा ईचागढ़ की चौड़ल की लंबाई 150 फिट थी. साथ ही रांची के अधिवक्ता संघ ने भी टुसू निकाला. इसका नेतृत्व ज्योति महतो और अमर महतो ने किया. इस अवसर पर सांसद संजय सेठ, विधायक समरीलाल, लंबोदर महतो, प्रो हरेंद्र महतो, शिवशंकर नीलकंठ, सहोदर महतो, धनेश्वर महतो, दीपक महतो और अरविंद महतो मौजूद थे.
झारखंड के पंचपरगना इलाके का लोक पर्व टुसू 14 जनवरी को मनाया जायेगा. दक्षिण पूर्व रांची, खूंटी, बुंडू, तमाड़, सरायकेला, खरसावां, पूर्वी सिंहभूम, पश्चिमी सिंहभूम, रामगढ़, बोकारो, धनबाद जिले में इसका विशेष उल्लास रहता है. कई जगह पर टुसू मेला लगता है. टुसू पर्व के दिन चौड़ल तैयार करने की खास परंपरा होती है. इसे कन्याएं ही तैयार करती हैं. लकड़ी के खांचे में तैयार चौड़ल को पिरामिड आकार में तैयार किया जाता है.
महिलाएं और युवतियां महीने भर टुसू की पूजा करती हैं. दूसरे दिन टुसू को विसर्जित किया जाता है. कुरमाली में नववर्ष की शुरुआत टुसू से ही होती है. कृषि कार्य का आरंभ होता है. रांची कॉलेज के समीप रहने वाले कामेश्वर महतो पत्नी मुक्ता महतो के साथ टुसू पर्व मनाने अपने गांव खूंटी गये हैं. उन्होंने कहा कि यह ऐसा पर्व है जिसमें कोई भी कहीं भी रहे, अपना गांव जरूर आता है. यह सिल्ली, बुंडू, राहे, तमाड़, सोनाहातू का मुख्य त्योहार है.
इस पर्व में पीठा बनाने की परंपरा है. मकर संक्रांति के दिन पूजा पाठ करने के बाद पीठा खाया जाता है. त्रिवेणी संगम स्थल सतीघाट जो सोनाहातू और सिल्ली के बीच में है, वहां टुसू का बड़ा मेला लगता है. यह पर्व प्रकृति से जोड़ता है. हल और बैल को खेत में ले जाकर पूजा की जाती है.