Happy Janmashtami 2022: कृष्ण के मोर पंख धारण करने, बांसुरी बजाने का कारण जानें

Prabhat khabar Digital

बांसुरी: भगवान कृष्ण को बांसुरी इतनी अत्यधिक प्रिय थी कि उनका एक लोकप्रिय नाम 'मुरलीधर' भी पड़ गया. बांसुरी एक मधुर वाद्य है जो संदेश देता है कि हमारा जीवन भी बांसुरी की तरह मधुर होना चाहिए. परिस्थिति कैसी भी हो हमें हमेशा खुश रहना चाहिए और खुशियां फैलानी चाहिए.

Janmashtami 2022 | Instagram

मोर पंख: मोर पंख भी श्री कृष्ण को इतना अधिक प्रिय है कि उन्हें मोर कुकुटधारी कहा जाता है. धार्मिक ग्रंथों में भी मोर पंख का महत्व है. यह जीवन में आने वाली परेशानियों को कम करता है और सुख, शांति और समृद्धि लाता है.

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माखन मिश्री: भगवान कृष्ण को माखन खाना बेहद पसंद था. वे अपने घर में यशोदा मैया के हाथ तैयार माखन तो खाते ही थे साथ ही गोकुल के अन्य घरों के माखन भी अपनी टोली के साथ मिल कर चुरा लेते थे यही वजह है कि उन्हें 'माखन चोर' नाम मिला क्योंकि वह 'गोपियों' से माखन चुराते थे.

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वे माखन मिश्री के साथ खाना पसंद करते थे. जब माखन और मिश्री को मिलाया जाता है, तो वे एक मीठा स्वाद देते हैं. जो जीवन की मधुरता के सूचक हैं.

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कमल फूल: शास्त्रों के अनुसार कमल के फूल को अत्यंत शुद्ध माना गया है. कीचड़ में उगने के बाद भी यह अपनी सुंदरता, कोमलता और शुद्धता नहीं खोता है. यह हमें सरल और सुंदर ढंग से जीने की सीख देता है.

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वैजंती माला: श्री कृष्ण वैजंती माला पहनते हैं. यह माला कमल के बीज से तैयार की जाती है और ये बीज बहुत सख्त होते हैं. वैजंती माला हमें एक संदेश देती है कि हमारे जीवन में चाहे कितनी भी मुसीबतें क्यों न हों, अपने निर्णय सोच-समझकर लें और कठिन परिस्थितियों को संभालें.

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गौ सेवा करते थे कृष्ण: गाय सनातन संस्कृति में गाय को सबसे शुद्ध प्राणी माना जाता है. 'पंचगव्य' अर्थात गाय का दूध, गाय का दही, गोमूत्र, गाय का घी, गाय का गोबर शास्त्रों में बहुत महत्वपूर्ण माना गया है. 'गौसेवा' दुखों का नाश करती है और समृद्धि देती है.

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