Shaurya Punj
बीते रविवार को ही पश्चिम बंगाल के शांति निकेतन को यूनेस्को ने विरासत सूची में शामिल किया था. इसके बाद अब कर्नाटक के होयसला मंदिरों के पवित्र समूहों को यूनेस्को की विरासत सूची में शामिल कर लिया गया है.
होयसल के पवित्र मंदिर समूह साल 2022 के लिए भारत की तरफ से विशाल मंदिरों को यूनेस्को में शामिल करने के लिए मनोनीत किया गया था.
भगवान शिव को समर्पित होयसल मंदिर का निर्माण 1150 ईस्वी में होयसल राजा द्वारा काले शिष्ट पत्थर से बनवाया गया था. मंदिर में हिंदू धर्म से संबंधित देवी देवताओं के चित्रों, मूर्तियों को उकेरा गया है.
15 अप्रैल 2014 से यूनेस्को की अस्थायी सूची में ‘सेक्रेड एनसेंबल्स ऑफ द होयसला’ शामिल है. ये सभी तीन होयसला मंदिर पहले से ही भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के संरक्षित स्मारक हैं.
12 वीं और 13 वीं शताब्दी के दौरान निर्मित होयसल के पवित्र पहनावों को यहां बेलूर, हैलेबिड और सोमनाथपुरा के तीन घटकों द्वारा दर्शाया गया है.
जबकि होयसल मंदिर एक मौलिक द्रविड़ आकृति विज्ञान बनाए रखते हैं, वे मध्य भारत में प्रचलित भूमिजा शैली, उत्तरी और पश्चिमी भारत की नागर परंपराओं और कल्याणी चालुक्यों द्वारा पसंद किए गए कर्नाटक द्रविड़ मोड से पर्याप्त प्रभाव प्रदर्शित करते हैं.
पर्यटक साल के किसी भी समय होयसलेश्वर मंदिर की यात्रा कर सकते हैं.
मंदिर परिसर में स्थित संग्रहालय केवल सोमवार से शुक्रवार, सुबह 9 बजे से शाम 5 बजे तक खुला रहता है.
होयसलेश्वर मंदिर तक देश के सभी हिस्सों से आसानी से पहुंचा जा सकता है.