जिस रफ्तार से कोरोना की गति बढ़ी है वो अब डराने लगी है. मार्च 2020 की याद को ताज कर रही है. जब देश-प्रदेश की पूरी व्यवस्था को चौपट हो गई थी.
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काम धंधा के लिए बाहर गए मजदूर बड़ी संख्या में बिहार लौट आए थे. उस दृश्य को अभी तक लोग नहीं भूले हैं. अपने घर पहुंचने की किस प्रकार की उनको जद्दोजहद करनी पड़ी थी.
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कई लोग पैदल तो हजारों किमी साइकिल चलाते हुए घर पहुंचे थे. घर पहुंचने के क्रममें कइयों ने रास्ते में ही अपनी जान गंवा दी थी. हजारों लोग ऐसे भी थे जो रेल पटरियों के सहारे सैकड़ों किमी दूर पैदल चल घर वापस लौटे थे.
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इसके बाद दूसरी लहर ने तो पूरी तबाही मचा दी. लेकिन, इसके बाद जब स्थिति संभली तो अधिकतकर लोग फिर अपने-अपने कार्यों पर लौट गए. व्यवस्था कुछ-कुछ पटरी पर लौट ही रही थी कि अब कोरोना की तीसरी लहर ने दस्तक दे दी है.
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साथ ही ओमिक्रॉन की आशंका से कई राज्यों ने सख्ती बढ़ा दी है. ऐसे में अब प्रवासी मजदूर बड़ी संख्या में बिहार वापसी करने लगे हैं.
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