Meenakshi Rai
भाई दूज के दिन बहनें भाई की लंबी उम्र के लिए पूजा अर्चना करती हैं. भाई दूज के तिलक का समय 15 नवम्बर 2023 दिन बुधवार समय 12 :39 दोपहर से 02:50 दोपहर तक है .
भाई और बहन एक-दूसरे के लिए अपना स्नेह प्रकट करते हैं. ऐसी मान्यता है कि जो भाई इस दिन बहन के घर जाकर तिलक लगाकर भोजन करता है, उसे अकाल मृत्यु का भय नहीं होता
ज्योतिषाचार्य के अनुसार भैया दूज 15 नवंबर को मनाया जाएगा. चित्रगुप्त पूजा, लेखनी पूजा, दावत पूजा, यमुना स्नान 15 नवंबर को मनाने का मुहूर्त है.
भाई दूज की पूजा थाली सजाने में कुछ बातों का ध्यान रखें. बहने सिंदूर, अक्षत, फूल, सुपारी, पान का पत्ता, चांदी का सिक्का, सूखा नारियल, कलावा, केला, मिठाई, दूर्वा जरूर रखें.
भाई दूज के दिन सबसे पहले एक प्लेट या थाली लें, इसके बाद इसे गंगाजल से पवित्र कर लें. अब इसमें गेंदा या फिर कोई फूल रखकर सजा लें.फिर इसमें एक-एक करके छोटी कटोरी या फिर प्लेट में ही रोली, कुमकुम, अक्षत, कलावा, सूखा नारियल, मिठाई आदि रख दें. इसके साथ ही एक घी का दीपक जला लें.
भाई दूज के दिन स्नान और ध्यान करें. फिर घर के मंदिर में घी का दीपक जलाकर ईश्वर का ध्यान करें, इसके दिन यमराज और यमुना के साथ भगवान गणेश और भगवान विष्णु की पूजा का भी विधान है. इस दिन पिसे चावल से चौक बनाने की परंपरा भी है, इसके बाद बहनें, भाई को तिलक लगाएं और फिर आरती उतारें.
भाई दूज के दिन बिना कुछ खाएं हुए भाई का तिलक करना शुभ माना जाता है.तिलक करते समय भाई को जमीन में न बिछाएं बल्कि कुर्सी, चौकी आदि में बैठाकर सिर में रुमाल या कोई कपड़ा अवश्य डालें.भाई दूज के दिन बहन या फिर भाई काले रंग के कपड़े बिल्कुल भी न पहनें.भाई दूज के दिन भाई को तिलक करने के साथ अंत में आरती अवश्य उतारें.
स्मरण रखें भाई दूज के दिन भाई-बहन आपस में झगड़ा ना करें . एक दूसरे का अनादर न करें भाई-बहन को उपहार दे और बहन भी उसे प्रेम से स्वीकार करें
तिलक सही दिशा में बैठकर ही करें. बहनें पूर्व की ओर मुख करके बैठें और भाई को उत्तर की ओर मुंह करके बैठना चाहिए . भाई दूज के दिन भी बहनें भाइयों का रोली से टीका करती हैं और मौली बांधती हैं. इसके बाद भाई को मिठाई खिलाकर उन्हें नारियल देती हैं.
भाई दूज की कथा यमराज और मां यमुना से जुड़ी हुई है. पौराणिक कथाओं के अनुसार, यमराज और मां यमुना दोनों ही सूर्यदेव की संताने हैं और भाई-बहन हैं. दोनों में बेहद प्रेम था. अरसों बाद जब यमराज बहन यमुना से मिलने पहुंचे तो उन्होंने भाई के लिए ढेरों पकवान बनाएं, मस्तक पर तिलक लगाया और भेंट में नारियल दिया, इसके बाद यमराज ने बहन से वरदान में उपहार स्वरूप कुछ भी मांग लेने के लिए कहा जिसपर मां यमुना ने कहा कि वे बस ये विनती करती हैं कि हर साल यमराज उनसे मिलने जरूर आएं, इसी दिन से भाई दूज मनाए जाने की शुरूआत हुई. मान्यता है कि है कि भाई दूज के दिन ही यमराज बहन यमुना से मिलने आते हैं.
ॐ जय यमुना माता, हरि ॐ जय यमुना माता
जो नहावे फल पावे सुख सुख की दाता
ॐ पावन श्री यमुना जल शीतल अगम बहै धारा,
जो जन शरण से कर दिया निस्तारा
ॐ जो जन प्रातः ही उठकर नित्य स्नान करे,
यम के त्रास न पावे जो नित्य ध्यान करे
ॐ कलिकाल में महिमा तुम्हारी अटल रही,
तुम्हारा बड़ा महातम चारों वेद कही
ॐ आन तुम्हारे माता प्रभु अवतार लियो,
नित्य निर्मल जल पीकर कंस को मार दियो
ॐ नमो मात भय हरणी शुभ मंगल करणी,
मन श्बेचौनश् भय है तुम बिन वैतरणी
ॐ ॐ जय यमुना माता, हरि ॐ जय यमुना माता।