Tokyo Paralympics closing ceremony जापान की राजधानी को ओलंपिक खेलों की मेजबानी मिलने के लगभग आठ साल बाद टोक्यो ओलंपिक और पैरालंपिक खेलों का रविवार को रंगारंग कार्यक्रम के साथ समापन हुआ.
कोरोना वायरस महामारी के कारण एक साल के विलंब से आयोजित हुए खेलों का प्रतिकूल परिस्थितियों में सफल आयोजन हुआ. जापान को 2013 में इन खेलों की मेजबानी का अधिकार मिला था. पैरालंपिक खेलों का समापन जापान के सम्राट नारुहितो के भाई क्राउन प्रिंस अकिशिनो की उपस्थिति में नेशनल स्टेडियम में रंगों से भरे, सर्कस जैसे समारोह के साथ हुआ.
इसके साथ ही 13 दिनों तक चले इन खेलों का शानदार समापन हुआ. समापन समारोह का शीर्षक ‘सामंजस्यपूर्ण सुर-ताल' था और इसमें सक्षम और दिव्यांग दोनों तरह के कलाकार शामिल थे.
इन कलाकारों के बीच समापन समारोह में शानदार सामंजस्य देखने को मिला. आयोजकों ने इसके विषय को ‘ पैरालंपिक से प्रेरित दुनिया, जहां भिन्नता भी चमक बिखरती है' के रूप में वर्णित किया.
ओलंपिक की तरह, पैरालंपिक खेलों का आयोजन भी टोक्यो में महामारी के कारण लागू आपातकाल की स्थिति के बीच हुआ. यहां भी ओलंपिक की तरह एथलीटों को बार-बार जांच से गुजरना पड़ा और उन्हें बायो-बबल में रहना पड़ा.
पैरालंपिक खेलों में रिकार्ड 4,405 खिलाड़ियों ने भाग लिया और रिकॉर्ड संख्या में देशों ने पदक जीते. इसमें अफगानिस्तान के दो एथलीटों को प्रतिस्पर्धा करते हुए भी देखा गया. वे देश पर तालिबान के कब्जे के बाद किसी तरह यहां पहुंचने में सफल रहे.
ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के एक अध्ययन से पता चला कि यह अब तक के सबसे खर्चीला खेल आयोजन था. महामारी के कारण जापान को इसका खामियाजा भी भुगतना पड़ा. स्टेडियम में दर्शक नहीं थे. विदेशों से आने वाले प्रशंसकों पर प्रतिबंध के कारण देश को बड़ा आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा.