Oximeter क्या है? यह कैसे काम करता है? कोरोना काल में क्यों है जरूरी?

Prabhat khabar Digital

कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों ने सरकार से लेकर आम आदमी तक की चिंता एक बार फिर से बढ़ा दी है. देश के ​कई हिस्सों से अस्पतालों में बेड नहीं मिलने की खबरें आ रही हैं. ऐसे में कोरोना से डरने के बजाय कोरोना से लड़ने की जरूरत है. डॉक्टर्स की मानें, तो संक्रमित होने वाले हर मरीज को अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत नहीं होती.

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देशभर में लाखों कोरोना मरीज होम आइसोलेशन में हैं. दवाओं के जरिये वे ठीक भी हो रहे हैं. लेकिन हमें यह जानना चाहिए कि किन लोगों को अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत है? विशेषज्ञों की मानें, तो कोरोना का संक्रमण अगर फेफड़े तक पहुंचता है, तो मरीज को सांस लेने में परेशानी हो सकती है. उनके शरीर में ऑक्‍सीजन लेवल अगर कम होता है, तो डॉक्टर की सलाह पर तुरंत अस्पताल ले जाना चाहिए.

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ऑक्‍सीजन लेवल सही है या नहीं, इसका पता लगाने का आसान जरिया है ऑक्‍सीमीटर (Oximeter), जिसे पल्स ऑक्सीमीटर (Pulse Oximeter) भी कहते हैं. आइए जानें कि ये पल्स ऑक्‍सीमीटर क्‍या होता है? यह कैसे काम करता है? कोरोना काल में यह क्यों जरूरी हो गया है? क्या आपके घर में भी इसे रखना जरूरी है? अगर हां, तो इसे कहां से खरीदा जा सकता है और कैसे इस्तेमाल किया जा सकता है?

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पल्स ऑक्सीमीटर एक ऐसा छोटा डिवाइस है, जो शरीर में ऑक्सीजन का सैचुरेशन लेवल (oxygen saturation level) बताता है. इससे यह पता चलता है कि लाल रक्त कणिकाएं (RBCs) कितना ऑक्सीजन यहां से वहां ले जा रही हैं. इसे पीपीओ यानी पोर्टेबल पल्स ऑक्सीमीटर भी कहते हैं. इस डिवाइस के जरिये यह पता करने में मदद मिलती है कि किसी व्यक्ति को अतिरिक्त ऑक्सीजन की जरूरत है या नहीं.

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पल्स ऑक्सीमीटर ऑन कर इसके अंदर उंगली डालने पर यह त्वचा पर लाइट छोड़कर ब्लड सेल्स का रंग और उनकी मूवमेंट डिटेक्ट करता है. जिन सेल्स में ऑक्सीजन ठीक मात्रा में होता है, वे चमकदार लाल दिखते हैं, जबकि बाकी हिस्सा गहरा लाल दिखता है. बढ़िया ऑक्सीजन मात्रा वाले ब्लड सेल्स और अन्य ब्लड सेल्स के अनुपात के आधार पर ऑक्सीमीटर ऑक्सीजन सैचुरेशन को फीसदी में कैलकुलेट कर डिस्प्ले में रीडिंग बताता है.

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अगर ऑक्सीमीटर 96 फीसदी की रीडिंग दे रहा है, तो इसका मतलब है कि महज चार प्रतिशत खून कोशिकाओं में ऑक्सीजन नहीं है. इस डिवाइस के जरिये मरीज का ब्लड सैंपल लेने की जरूरत भी नहीं पड़ती है. इस्तेमाल से पहले यह जानना भी जरूरी है कि खून में ऑक्सीजन का सही स्तर कितना होना चाहिए. स्वस्थ व्यक्ति के रक्त में ऑक्सीजन का सैचुरेशन लेवल 95 से 100 फीसदी के बीच होता है.

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95 फीसदी से कम ऑक्सीजन लेवल इस बात का संकेत है कि मरीज के फेफड़ों में परेशानी हो रही है. वहीं, ऑक्सीजन का लेवल अगर 94 प्रतिशत से नीचे जाने लगे, तो सचेत हो जाना चाहिए और अगर यह स्तर 93 या इससे नीचे हो जाए, तो मरीज को फौरन अस्पताल ले जाना चाहिए. क्योंकि यह इस बात का संकेत है कि उसके शरीर की सात फीसदी तक कोशिकाएं ऑक्सीजन का प्रवाह नहीं कर पा रही हैं.

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