कौसानी में चाय बागान के व्यवस्थापक और पंडित गंगा दत्त पंत के घर ही सुमित्रानंदन पंत का जन्म 20 मई 1900 को हुआ था. जिसके छह घंटे बाद ही उनकी मां सरस्वती देवी का निधन हो गया.
Sumitranandan Pant | Prabhat Khabar Graphics
यही कारण है कि मातृ स्नेह से वंचित सुमित्रानंदन पंत के काव्य में मां की स्मृति देखने को मिलती है. उनके पिता गंगा दत्त पंत ने कुछ दिनों बाद उन्हें गोस्वामी हरगिरि बाबा को सौंप दिया था.
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जहां उनका नाम गुसाई दत्त पंत रखा गया. इनकी प्रारंभिक शिक्षा कौसानी के वर्नाक्यूलर स्कूल में हुई, फिर आगे की पढ़ाई के लिए वे अल्मोड़ा पहुंचे.
Sumitranandan Pant Poem | Prabhat Khabar Graphics
नौ साल की उम्र में वे अमरकोश, चाणक्य नीति, मेघदूत जैसे ग्रंथों को कंठस्थ कर लिया. 1916 में इनकी पहली कविता अखबार में छपी.
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1918 में नौवीं कक्षा पास करने के बाद वे आगे की शिक्षा के लिए बनारस चले गए. जहां उन्होंने प्रगतिवाद, छायावाद व नव चेतनावाद की तीन प्रमुख धाराओं के अंतर्गत साहित्यिक रचनाएं लिख डालीं.
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1960 में कला और बूढ़ा चांद की रचना के लिए पहला साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला. फिर भारतीय ज्ञान पीठ पुरस्कार उन्हें 1969 में चिदंबरा के लिए दिया गया.
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इनकी प्रमुख रचनाओं में मेघनाद वध, उच्छवास, पल्लव, बूढ़ा चांद आदि भी शामिल हैं. आपको बता दें कि सुमित्रानंदन पंत ने पूरा जीवन विवाह नहीं किया.
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28 दिसंबर 1977 को इलाहाबाद के प्रयागराज में सुमित्रानंदन पंत का देहांत हो गया.
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