PM रहते हुए बेटे की जिद पर बैंक लोन से खरीदी कार, निधन के बाद पत्नी ने चुकाया था कर्ज

Prabhat Khabar Digital Desk, Varanasi

Varanasi News:

Varanasi News: देश के पूर्व प्रधानमंत्री स्व. लाल बहादुर शास्त्री का पैतृक निवास रामनगर में स्थित है. इसे एक संग्रहालय में तब्दील किया गया है. लाल बहादुर शास्त्री की ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा के किस्से प्रचलित हैं. लेकिन, 11 जनवरी 1966 को शास्त्री जी के देहांत के बाद लोन लिए गए उनके कार का बैंकों को भुगतान भी उनके परिवार ने अपने निजी खर्च से किया था.

lal bahadur shastri | prabhat khabar

रामनगर में पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय लाल बहादुर शास्त्री के पैतृक निवास के सरंक्षक महेंद्र नारायण ने उनके कर्तव्यनिष्ठा और ईमानदारी से जुड़े एक किस्से को साझा करते हुए कहते बताते हैं कि शास्त्री जी के बेटे साइकिल से कॉलेज जाते थे.

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प्रधानमंत्री के बेटे को साइकिल से कॉलेज जाता देख दोस्त तंज भी सकते थे. जब इस बात की जानकारी लाल बहादुर शास्त्री के बेटे ने अपने पिता को दी और कार लेने की फरमाइश की तो उनके पिता ने कहा कि- सुबह होने दो, मैं तुम्हें कार लेकर देता हूं.

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लाल बहादुर शास्त्री ने जब सुबह अपने पीएस से पूछा कि कार कितने खर्च में आएगी? तो, पीएस ने कहा कि- सर आपके अकाउंट में इस वक्त मात्र 5 हजार रुपए हैं. फिएट कार की वैल्यू 8 हजार रुपए.

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बाकी के बचे पैसों के लिए लाल बहादुर शास्त्री पीएनबी बैंक गए और बैंक मैनेजर से लोन के बारे में पूछा. बैंक मैनेजर ने कहा सर आप पीएम होकर छोटे से लोन के लिए पूछ रहे हैं. बैंक से लाल बहादुर शास्त्री ने 10 हजार रुपए का लोन लिया और सुबह कार निकलवाई. वो लोन की कुछ किश्त जमा कर पाए थे, तभी ताशकंद में उनकी मृत्य हो जाती है.

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उसके बाद शास्त्री जी की पत्नी लता शास्त्री के पास पीएनबी बैंक के मैनेजर आते हैं और बचे हुए पैसों के लिए लोन माफ करने की बात करते हैं. लता शास्त्री ने कहा था कि ऐसा नहीं हो सकता है. जो उनके रहते नहीं हुआ, वो अब भी नहीं होगा. मैं अपने स्वर्गीय पति पर कोई कर्ज बाकी नहीं रहने दूंगी. बची हुई सारी लोन मेरी फेमिली पेंशन से कटेगी.

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