कार्तिक में आध्यात्मिक चिंतन में डूबी काशी, कहीं घाट पर दीपदान तो कहीं हो रहे प्रभु के भजन

Prabhat Khabar Digital Desk, Varanasi

काशी में कार्तिक मास की शुरुआत होते ही घाटों पर स्नान और दीपदान का क्रम शुरू हो जाता है. कार्तिक मास में भगवान शंकर की नगरी काशी भगवान विष्णु की नगरी बन जाती है. भगवान शिव को चढ़ने वाला बेलपत्र भगवान विष्णु को चढ़ता है. एक माह तक तक पूरी काशी नगरी आध्यात्मिक चिंतन में डूबी रहती है.

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पंडित पवन त्रिपाठी ने कार्तिक मास में तीन विधान से पूजा का मतलब बताया है. पहला ब्रह्म मुहूर्त से पहले उठकर मौन होकर स्नान करना, दूसरा सायंकाल देवालयों में दीपदान करना और तीसरा आकाशदीप जलाना. यही कार्तिक मास में एक माह तक लगातार करने का विधान है.

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पंडित पवन त्रिपाठी के मुताबिक कृतिका नक्षत्र में पड़ने के कारण इस मास को कार्तिक मास के रूप में मनाया जाता है. भगवान शिव के पुत्र कार्तिकेय के कारण दक्षिण भारत समेत उत्तर भारत में भी इसका विशेष महत्व है.

Kartik Month | प्रभात खबर

कार्तिक मास को प्रकाश का महीना मानकर दर्शन पूजन किया जाता है. इस माह में नारायण की पूजा की जाती हैं, क्योंकि इस माह में भगवान विष्णु जागते हैं.

Kartik Maas 2021 | प्रभात खबर

पुराणों में उल्लेखित है कि छह महीने भगवान जागते हैं और छह महीने सोते हैं. भगवान के जागरण का पर्व कार्तिक मास है.

Kartik Month Importance | प्रभात खबर

इस पर्व की पहली शर्त है कि आपको ब्रह्म मुहूर्त के पहले उठकर मौन होकर स्नान करना है. पूरे माह भर देवालय में सायंकाल दीपदान करना चाहिए. यही सबसे बड़ा दान है. इस माह में पुराणों में लक्ष्मी, कुबेर और इंद्र का भी पूजन करने का विधान बताया गया है.

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(सभी तसवीर: विपिन सिंह, वाराणसी)

भगवान इंद्र ने लक्ष्मी का पूजन इसी माह में किया था. सत्यनारायण भगवान की कथा का भी आयोजन इसी माह में किया जाता है. कार्तिक पूर्णिमा के दिन पूरी रात्रि जागरण का विधान है. ऐसी मान्यता है कि लक्ष्मी उस दिन रात्रि में सभी के घरों में जाकर देखती हैं कि कौन जाग रहा है. <em>(सभी तसवीर: विपिन सिंह, वाराणसी)</em>

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