PHOTOS: प्रेतयोनि से मुक्ति के लिए पिंडदानी यहां करते हैं ये काम, जानें शाम में क्यों नहीं रुकता यहां कोई

Prabhat Khabar Digital Desk

प्रेतशिला वेदी पर आकर सत्तू उड़ाने पहुंचे पिंडदानी | प्रभात खबर

धार्मिक व आध्यात्मिक मान्यताओं के अनुसार जब तक मोक्ष नहीं मिलता आत्माएं भटकती रहती हैं. इनकी शांति व शुद्धि के लिए गयाजी में पिंडदान करने के बाद पिंडदानी प्रेतशिला पर सतू उड़ाने आते हैं.

प्रेतशिला पहाड़ | प्रभात खबर

प्रेतशिला पहाड़ पर पैदल चढ़ने में असमर्थ लोग डोली के सहारे पहाड़ पर जाते हैं

डोली के सहारे पहाड़ पर जाते पिंडदानी | प्रभात खबर

इस प्रेतशिला पहाड़ पर जाने के लिए 676 सीढ़ियां बनी हुई हैं. इस पर्वत के शिखर पर प्रेतशिला वेदी है. कहा जाता है कि अकाल मृत्यु से मरने वाले पूर्वजों का प्रेतशिला वेदी पर श्राद्ध व पिंडदान करने का विशेष महत्व है. इस पर्वत पर पिंडदान करने से पूर्वज सीधे पिंड ग्रहण करते हैं. इससे पितरों को कष्टदायी योनियों से मुक्ति मिल जाती है.

प्रेतशिला पहाड़ पर जाते पिंडदानी | प्रभात खबर

पिंडदानी अपने पूर्वज को प्रेतयोनि से मुक्ति के लिए यहां दान करते हैं.

प्रेतयोनि से मुक्ति के लिए दान करते पिंडदानी | प्रभात खबर

पूर्वज को प्रेतयोनि से मुक्ति के लिए पूजा करते पिंडदानी

Pitru Paksh 2022 | प्रभात खबर

Pitru Paksh 2022 | प्रभात खबर

पूर्वज को प्रेतयोनि से मुक्ति के लिए पितर सत्तू उड़ाते. वे यहां कहते हैं उड़ल सत्तू पितर को पैठ हो

Pitru Paksh 2022 | प्रभात खबर

पिंडदान के कर्मकांड से जुड़े लोगों का कहना है कि पहाड़ पर आज भी भूतों का डेरा रहता है. मध्य रात्रि में यहां प्रेत के भगवान आते हैं. यही कारण है कि यहां शाम छह बजे के बाद कोई नहीं रुकता है. कोई भी शाम छह बजे के बाद नहीं रुकता है. यहां तक कि पंडा जी भी इस पर्वत से उतर कर वापस घर चले जाते हैं.

Pitru Paksh 2022 | प्रभात खबर