गयाजी में पिंडदान करने से पितर को मिलता है मोक्ष, जानें पंचमी, नवमी और एकादशी तिथि क्यों है महत्वपूर्ण

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अगर किसी को अपने पूर्वजों के निधन की तिथि ज्ञात नहीं है, तब हिंदू धर्म शास्त्रों में कुछ विशेष तिथियां बतायी गयी हैं, जिस दिन पितरों के लिए श्राद्ध करना उत्तम माना गया है.

फल्गु नदी में श्राद्ध करने पहुंचे पिंडदानी | प्रभात खबर

पंचमी श्राद्ध- अविवाहित मृत व्यक्ति के श्राद्ध के लिए पंचमी तिथि उत्तम मानी गयी है. पंचमी श्राद्ध को कुंवारा पंचमी भी कहते हैं.

गयाजी में श्राद्ध करते लोग | प्रभात खबर

नवमी श्राद्ध- माता का श्राद्ध नवमी श्राद्ध पर करें. मान्यताओं के अनुसार, इस दिन श्राद्ध से कुल की सभी दिवंगत महिलाओं का श्राद्ध होता है. इसे मातृ नवमी भी कहते हैं.

गयाजी में पिंडदान करते लोग | प्रभात खबर

एकादशी और द्वादशी श्राद्ध-

एकादशी और द्वादशी श्राद्ध- संन्यास ले चुके मृत व्यक्ति के श्राद्ध के लिए एकादशी और द्वादशी श्राद्ध शुभ माने गये हैं. इन तिथियों पर उनका श्राद्ध करने से आशीर्वाद प्राप्त होता है.

गयाजी फल्गु नदी पर पिंडदानियों की भीड़ | प्रभात खबर

त्रयोदशी और चतुर्दशी श्राद्ध-

त्रयोदशी और चतुर्दशी श्राद्ध- जिनके परिवार में किसी व्यक्ति की अकाल मृत्यु हुई हो, उनके श्राद्ध के लिए त्रयोदशी (केवल मृत बच्चों) और चतुर्दशी तिथि उत्तम मानी गयी है.

गयाजी पितृपक्ष मेला में लगी भीड़ | प्रभात खबर