Tokyo Olympics: पहले गोलपोस्ट अब ये कहां बैठ गये श्रीजेश, गांव पहुंचने पर ग्रैंड वेलकम, देखें तसवीरें

Prabhat khabar Digital

टोक्यो ओलंपिक 2020 में भारत को हॉकी में 41 सालों बाद ब्रॉन्ज मेडल दिलाने में बड़ी भूमिका निभाने वाले पुरुष हॉकी टीम के गोल कीपर पीआर श्रीजेश स्वदेश लौटने के बाद अपने गांव पहुंच चुके हैं.

टोक्यो ओलंपिक 2020 में भारत को हॉकी में 41 सालों बाद ब्रॉन्ज मेडल दिलाने में बड़ी भूमिका निभाने वाले पुरुष हॉकी टीम के गोल कीपर पीआर श्रीजेश स्वदेश लौटने के बाद अपने गांव पहुंच चुके हैं.

| pti photo

श्रीजेश का मंगलवार शाम कोचिन अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे पर भव्य स्वागत किया गया. श्रीजेश का परिवार, उनके माता-पिता, पी वी रवीन्द्रन और उषाकुमारी, पत्नी पीके अनीश्य और बच्चे अनुश्री और श्रीअंश घर में उनका स्वागत करने के लिए मौजूद थे.

श्रीजेश का मंगलवार शाम कोचिन अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे पर भव्य स्वागत किया गया. श्रीजेश का परिवार, उनके माता-पिता, पी वी रवीन्द्रन और उषाकुमारी, पत्नी पीके अनीश्य और बच्चे अनुश्री और श्रीअंश घर में उनका स्वागत करने के लिए मौजूद थे.

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श्रीजेश ने घर पहुंचते हुए अपना पदक पिता के गले में डाल दिया. इसके बाद उन्हें मंत्री के साथ एक खुली जीप में किझाक्कम्बलम स्थित उनके आवास पर ले जाया गया.

श्रीजेश ने घर पहुंचते हुए अपना पदक पिता के गले में डाल दिया. इसके बाद उन्हें मंत्री के साथ एक खुली जीप में किझाक्कम्बलम स्थित उनके आवास पर ले जाया गया.

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अपने गृहनगर में एक स्वागत कार्यक्रम के बाद, श्रीजेश ने कहा कि वह वास्तव में बहुत खुश है कि उनका इतना भव्य स्वागत किया गया. उन्होंने कहा, यह पदक सभी के लिए ओणम का उपहार है.

अपने गृहनगर में एक स्वागत कार्यक्रम के बाद, श्रीजेश ने कहा कि वह वास्तव में बहुत खुश है कि उनका इतना भव्य स्वागत किया गया. उन्होंने कहा, यह पदक सभी के लिए ओणम का उपहार है.

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उन्होंने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि इस उपलब्धि के बाद अधिक अभिभावक अपने बच्चों को हॉकी खेलने की अनुमति देंगे. राज्य सरकार से पुरस्कार के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, एक खिलाड़ी के रूप में, एक हॉकी खिलाड़ी के तौर पर, मेरी सबसे बड़ी महत्वाकांक्षा ओलंपिक में पदक जीतने की थी और वह मुझे मिल गया.

उन्होंने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि इस उपलब्धि के बाद अधिक अभिभावक अपने बच्चों को हॉकी खेलने की अनुमति देंगे. राज्य सरकार से पुरस्कार के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, एक खिलाड़ी के रूप में, एक हॉकी खिलाड़ी के तौर पर, मेरी सबसे बड़ी महत्वाकांक्षा ओलंपिक में पदक जीतने की थी और वह मुझे मिल गया.

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भारतीय पुरुष हॉकी टीम ने 41 साल बाद ओलंपिक पदक जीतकर इतिहास रचा है. जर्मनी के खिलाफ कांस्य पदक के प्लेऑफ मुकाबले के आखिरी क्षणों में श्रीजेश ने पेनल्टी कॉर्नर पर शानदार बचाव कर टीम को 5-4 से जीत दिलाने में अहम भूमिका निभाई थी.

भारतीय पुरुष हॉकी टीम ने 41 साल बाद ओलंपिक पदक जीतकर इतिहास रचा है. जर्मनी के खिलाफ कांस्य पदक के प्लेऑफ मुकाबले के आखिरी क्षणों में श्रीजेश ने पेनल्टी कॉर्नर पर शानदार बचाव कर टीम को 5-4 से जीत दिलाने में अहम भूमिका निभाई थी.

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जीत के बाद श्रीजेश खुशी से गोल पोस्ट के ऊपर ही बैठ गये थे. उनकी तसवीर सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हुई थी. टोक्यो छोड़ने के समय भी श्रीजेश का वही रूप देखने को मिला. टोक्यो में बने विशाल ओलंपिक प्रतीक चिन्ह के ऊपर श्रीजेश का बैठी तसवीर वायरल हुई.

जीत के बाद श्रीजेश खुशी से गोल पोस्ट के ऊपर ही बैठ गये थे. उनकी तसवीर सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हुई थी. टोक्यो छोड़ने के समय भी श्रीजेश का वही रूप देखने को मिला. टोक्यो में बने विशाल ओलंपिक प्रतीक चिन्ह के ऊपर श्रीजेश का बैठी तसवीर वायरल हुई.

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