नीरज चोपड़ा के गोल्ड मेडल जीतने के बाद भाला की बिक्री बढ़ी, जैवलिन थ्रो में एडमिशन के लिए मची होड़

Prabhat khabar Digital

tokyo olympics 2020: टोक्यो ओलंपिक में नीरज चोपड़ा (neeraj Chopra) के गोल्ड मेडल जीतने के बाद जैवलिन थ्रो और एथलीट को लेकर युवाओं में रुझान बढ़ता ही जा रहा है. जहां अभिभावक पहले अपने बच्चों को केवल क्रिकेट सीखाने पर जोर देते थे, लेकिन अब जैवलिन और एथलीट में उनका इंट्रेस्ट बढ़ा है.

| instagram

एक रिपोर्ट के अनुसार नीरज के गोल्ड जीतने के बाद जैवलिन की बिक्री में अचानक उछाल आयी है. साथ ही एथलीट और खास कर भाला फेंक सीखने वालों में होड़ मच गयी है.instagram

| instagram

दिल्ली का छत्रसाल स्टेडियम जिसे रेसलिंग के लिए जाना जाता है. वहां से ओलंपियन सुशील कुमार के साथ-साथ कई वर्ल्ड चैंपियन रेसलर निकल चुके हैं. छत्रसाल स्टेडियम में जहां रेसलिंग सीखने वालों की होड़ मची रहती थी. लेकिन टोक्यो ओलंपिक के बाद यहां जैवलिन सीखने वालों की संख्या में अचानक तेजी आयी है.

| instagram

कोच रमण झा ने बताया कि 40 नये छात्रों ने जैवलिन में नया एडमिशन कराया है. उन्होंने बताया कि उन्होंने 12 साल की कोचिंग के दौरान जैवलिन और एथलीट को लेकर इतनी उत्साह कभी नहीं देखी.

| instagram

उन्होंने बताया कि नीरज चोपड़ा के गोल्ड मेडल जीतने के बाद कई धावकों ने उनसे अनुरोध किया है कि वो जैवलिन में जाना चाहते हैं. उन्होंने बताया कि उन्हें दिन भर में कई कॉल अभिभावकों के आते हैं, जो अपने बच्चों को जैवलिन सीखाना चाहते हैं.

| instagram

दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम में बच्चों को प्रशिक्षित करने वाले पूर्व राष्ट्रीय भाला चैंपियन सुनील गोस्वामी कहते हैं कि जैवलिन का क्रेज केवल दिल्ली तक सीमित नहीं है.

| instagram

मेरे ऐसे दोस्त हैं जो देश भर के कोच हैं और वे मुझे बताते हैं कि लगभग हर कोई नीरज के स्वर्ण के बाद भाला लेना चाहता है. शहर के बाहरी इलाके से बच्चे स्टेडियम में आते हैं और मुझसे जैवलिन सीखाने का अनुरोध करते हैं. गोस्वामी बताते हैं कि कई टेनिस खिलाड़ी, धावक और जिमनास्ट हैं जो मेरे पास आते हैं और कहते हैं कि वे भाला लेना चाहते हैं.

| instagram

उसी तरह खेल उपकरण बेचने वालों ने बताया कि नीरज चोपड़ा के टोक्यो ओलंपिक में गोल्डेन प्रदर्शन के बाद जैवलिन की बिक्री में अचानक तेजी आयी है.

| instagram