पूर्व दिग्गज सुनील गावस्कर ने महेंद्र सिंह धोनी को टी-20 विश्व कप के लिए भारतीय टीम के मेंटोर (मार्गदर्शक) के रूप में नियुक्त करने पर कहा कि वे एक हद तक मदद कर सकते है, क्योंकि मैदान में प्रदर्शन करने का जिम्मा खिलाड़ियों का होता है.
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गावस्कर ने कहा कि मेंटर ज्यादा कुछ नहीं कर सकता. इस प्रारूप में तेजी से बदलाव होता है और हां, वह आपको ड्रेसिंग रूम में तैयारी करने में मदद कर सकता है. वह अगर जरूरत हुई तो रणनीति को बदलने में आपकी मदद कर सकता है.
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उन्होंने कहा कि वह टाइम-आउट के दौरान बल्लेबाजों और गेंदबाजों से बात कर सकता है, इसलिए धोनी को नियुक्त करने का कदम अच्छा है लेकिन धोनी ड्रेसिंग रूम में होंगे और मैदान में वास्तविक काम खिलाड़ियों को करना होगा. मैच का परिणाम इस बात पर निर्धारित होगा कि खिलाड़ी दबाव को कैसे संभालते हैं.
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उन्होंने कहा कि जब आप एक कप्तान बनते हैं, तो आप केवल अपने बारे में नहीं सोच सकते हैं, उसे एक ऐसे बल्लेबाज से बात करनी होती है जो खराब दौर से गुजर रहा है या एक गेंदबाज के साथ रणनीतियों पर चर्चा करता है.
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उन्होंने कहा कि इस सब के बीच, कोई भी अपनी लय पर जरूरत के मुताबिक ध्यान नहीं दे पाता है. जब आप पर दबाव नहीं होता है, तो आप अपने खेल पर ध्यान केंद्रित कर सकते हैं. मुझे लगता है कि विराट के लिए यह अच्छा होगा कि टी-20 विश्व कप के बाद उन्हें जिम्मेदारियों के बारे में सोचने की जरूरत नहीं है.
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गावस्कर ने कहा कि ऐसे में कोहली अब अपने खेल पर ध्यान दे सकते हैं और काफी रन बना सकते हैं. विश्व क्रिकेट में सबसे सम्मानित आवाजों में से एक गावस्कर ने यह भी बताया कि वैश्विक टूर्नामेंटों में नॉक-आउट मैच जीतने में भारत की विफलता का मुख्य कारण टीम चयन रहा है.
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गावस्कर ने कहा कि टी-20 क्रिकेट में भारतीय टीम अक्सर सातवें से 12वें ओवर में लय बरकरार रखने में नाकाम रहती है. भारत की बल्लेबाजी की कमजोरी पावरप्ले के बाद सातवें ओवर से 12वें ओवर तक रही है. यह बहुत अच्छा होगा अगर हम उन चार से पांच ओवरों में बेहतर बल्लेबाजी कर सकें और लगभग 40 रन बना सकें.
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