धुस्का और बर्रा के इतर झारखंड के कई और पारंपरिक खाद्य बेहद लज़ीज होते है, रूगड़ा उनमें से एक है. यह झारखंड का वेज मटन (Veg Mutton ofJharkhand) कहलाने वाल रुगड़ा होता है
Veg Mutton of Jharkhand, Jharkhand Special Dish | Prabhat Khabar Graphics
रुगड़ा रांची जिले के बुंडु, तामार और पिथौरिया के साल के जंगलों में पाया जाता है. यहां जुलाई माह में औसतन 350-380 सेंटीमीटर बारिश (350-380 cm of rain) होती है.
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रुगड़ा में कैल्सियम और प्रोटीन मिलते हैं. एनीमिया (खून की कमी) से पीड़ित मरीज के लिए रुगड़ा बहुत लाभकारी है. कहा जाता है कि कैंसर और अस्थमा जैसे बीमारी के लड़ने में भी यह फायदेमंद साबित होता है. इसमें कार्बोहाइड्रेट नहीं होता है. यह हृदय रोगियों, रक्तचाप और मधुमेह रोगियों के लिए भी रामबाण है.
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रुगड़ा झारखंड की धरती पर ही साल के पेड़ के नीचे उगता है दुर्लभ मशरूम, रुगड़ा मशरूम. ज़्यादातर मशरूम मिट्टी के ऊपर होते हैं लेकिन ये शायद दुनिया का इकलौता ऐसा मशरूम है जो धरती के नीचे होता है.
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रुगड़ा साल में सिर्फ़ एक बार यानि बरसात के मौसम में ही मिलता है. इसी वजह से इनकी कीमत काफ़ी ज़्यादा होती है. आदिवासी समूह बनाकर जंगल में जाते हैं और इन्हें इकट्ठा करते हैं. वे इसका इस्तेमाल आयुर्वेदिक दवाई के रूप में भी करते हैं.
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