Radheshyam Kushwaha
राधा अष्टमी 23 सितंबर दिन शनिवार को है. राधा अष्टमी को राधा जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है. हर वर्ष राधाष्टमी का पर्व भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को राधाष्टमी का पर्व मनाया जाता है. यहां ज्योतिषाचार्य से जानिए व्रत पूजा विधि से जुड़ी पूरी जानकारी...
शनिवार की सुबह स्नानादि से निवृत्त हो जाएं.
स्नान-ध्यान करने के बाद भगवान सूर्य को अर्घ्य दें.
फिर राधा रानी के व्रत को विधि-विधान से करने का संकल्प लें.
इसके बाद मंडप के नीचे मंडल बनाकर उसके मध्यभाग में मिट्टी या तांबे का कलश स्थापित करें.
राधा जी की फोटो या प्रतिमा को पीले कपड़े से बने आसन पर रखें.
कलश में जल सिक्के और आम्रपल्लव रखकर उस पर नारियल रखें.
पंचामृत से स्नान कराएं, फिर उन्हें जल चढ़ाएं और पुष्प, चंदन, धूप, दीप, फल आदि अर्पित करें
राधा रानी का विधि-विधान से पूजा और उनका श्रृंगार करें.
तत्पश्चात राधाजी का षोडशोपचार से पूजन करें.
इसके बाद राधा रानी के मंत्र का जाप या उनके स्तोत्र का पाठ करें
ध्यान रहे कि पूजा का समय ठीक मध्याह्न का होना चाहिए.
भोग में फल और मिठाई के साथ तुलसी दल जरूर चढ़ाएं.
राधा जी को भोग लगाने के बाद भगवान श्रीकृष्ण की भी विधि-विधान से पूजा करें.
पूजन पश्चात पूरा उपवास करें अथवा एक समय भोजन करें.
दूसरे दिन श्रद्धानुसार सुहागिन स्त्रियों तथा ब्राह्मणों को भोजन कराएं व उन्हें दक्षिणा दें.
पूजा के अंत में श्री राधा जी और भगवान श्रीकृष्ण की आरती करें और सभी को प्रसाद बांटें और स्वयं भी ग्रहण करें.