Radheshyam Kushwaha
नवरात्रि के 9 दिन पूरे होने पर ही कन्या पूजन किया जाता है, इसके बाद व्रत पारण करते हैं. वहीं जो लोग अष्टमी पर अपनी कुलदेवी का पूजन करते हैं वह महाष्टमी पर कन्या पूजन कर सकते हैं.
नवरात्रि में अष्टमी-नवमी दोनों दिन कन्या पूजा करने से देवी दुर्गा बहुत प्रसन्न होती हैं और अन्न-धन्य के भंडार भरती हैं. अश्विन शुक्ल महाष्टमी यानि दुर्गाष्टमी की शुरुआत 21 अक्टूबर 2023 को रात 09.53 मिनट से 22 अक्टूबर 2023 को रात 07.58 मिनट तक रहेगी.
अश्विन शुक्ल महानवमी यानि दुर्गानवमी तिथि 22 अक्टूबर 2023 को रात 07 बजकर 58 से 23 अक्टूबर 2023 को शाम 05 बजकर 44 मिनट तक रहेगी. इस दिन पूजा करने के लिए शुभ मुहूर्त सुबह 06 बजकर 27 मिनट से सुबह 07 बजकर 51 मिनट तक है. वहीं दूसरा शुभ मुहूर्त दोपहर 1 बजकर 30 मिनट से दोपहर 02 बजकर 55 मिनट तक है.
अष्टमी-नवमी जिस दिन कन्या पूजा कर रहे हैं उस दिन सम्मान पूर्वक 2-10 साल तक की 9 कन्याओं और एक बालक को आमंत्रित करें. जब कन्या घर पर पधारती हैं, तो स्वागत करते हुए उनके चरण धोएं और उन्हें उचित स्थान पर बैठाएं.
कन्याओं के माथे पर अक्षत और कुमकुम लगाएं. चुनरी ओढ़ाएं. भोजन कराएं. भोजन के बाद कन्याओं को सामर्थ्य अनुसार दक्षिणा या उपहार दें और पैर छूकर आशीर्वाद लें और उन्हें विदा करें. इसके बाद ही आप भोग का प्रसाद खाएं. कन्या पूजा के दौरान काले चने की सब्जी, खीर, पूड़ी, हलवा का भोग लगाया जाता है.
कन्या पूजा में कितनी बालिका होनी चाहिए - 9 कन्याएं, 1 बालक (इसे बटुक माना जाता है) कन्या पूजा में कन्याओं को उपहार देनकर विदा करनी चाहिए. उपहार में लाल रंग के वस्त्र, श्रृंगार सामग्री, नारियल, मिठाई, शिक्षा से जुड़ी सामग्री होनी चाहिए.