Shaurya Punj
इस साल होलिका दहन 6 और 7 मार्च के बीच रात 12 बजकर 40 मिनट से 2 बजे तक करना शुभ होगा. क्योंकि 7 मार्च को पूर्णिमा तिथि शाम 6 बजकर 10 मिनट तक ही है. लेकिन कई जगहों पर 7 मार्च को भी होलिका दहन किया जा रहा है.
कुछ का कहना है कि भद्रा के पुंछ काल होलिका दहन करने का शास्त्रीय विधान है. जो 6-7 मार्च की दरमियानी रात में रहेगा. भद्रा पुंछ में किए गए कामों में जीत प्राप्त होती है.
हिंदू धर्म के अनुसार होलिका दहन का पौराणिक और धार्मिक महत्व दोनों ही है. क्योंकि होलिका दहन बुराई पर अच्छाई की जीत को दर्शाती है.
होलिका दहन की अग्नि को जलती चिता का प्रतीक माना गया है. इसलिए नए शादीशुदा जोड़ों को होलिका दहन को नहीं देखना चाहिए.
पौराणिक कथाओं के अनुसार भद्रा काल में होलिका दहन को अशुभ माना जाता है. यह होलिका दहन का दोष है.
होली की कथा के अनुसार,मान्यता है कि भद्रा के स्वामी यमराज होने के कारण इस योग में कोई भी शुभ काम करने की मनाही होती है.
होलिका दहन के अगले दिन होलिका दहन की राख माथे में लगाने के साथ पूरे शरीर में लगाएं. ऐसा करने से व्यक्ति को हर तरह के रोग-दोष से छुटकारा मिलेगा.