Radheshyam Kushwaha
हरतालिका तीज व्रत हर साल भाद्रपद शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को रखा जाता है. हरतालिका तीज व्रत 18 सितंबर दिन सोमवार को है. इस दिन सुहागिनें अपने पति की लंबी आयु के लिए निर्जला व्रत रखती हैं.
हरतालिका तीज व्रत का संबंध भगवान शिव और पार्वती जी से है. इस दिन रात भर जागरण कर गौरीशंकर की पूजा का विधान है. हरतालिका तीज का व्रत सर्वप्रथम मां पार्वती ने शिव को पति के रूप में पाने के लिए किया था.
धार्मिक मान्यता है कि हरतालिक तीज व्रत के प्रभाव से सौभाग्य में वृद्धि होती है. हरतालिका तीज का पूजन बहुत महत्वपूर्ण माना गया है, ऐसे में स्त्रियां अभी से पूजा की सामग्री इक्ठ्ठा कर लें ताकी पूजा में किसी चीज की कमी न हो.
शिवलिंग बनाने के लिए तालाब या नदी की स्वच्छ मिट्टी, रेत का भी उपयोग कर सकेत हैं. चंदन, जनेऊ, फुलेरा, पुष्प, नारियल, अक्षत 5 पान के पत्ते, 5 इलायची, 5 पूजा सुपारी.
पांच लौंग, 5 प्रकार के फल दक्षिणा, मिठाई, पूजा की चौकी, धतूरे का फल, कलश, अभिषेक के लिए तांबे का पात्र, दूर्वा, आक का फूल, घी, दीपक, अगरबत्ती, धूप, कपूर, व्रत कथा पुस्तक.
शिव को चढ़ाने के लिए 16 तरह के पत्ते - बेलपत्र, तुलसी, जातीपत्र, सेवंतिका, बांस, देवदार पत्र, चंपा, कनेर, अगस्त्य, भृंगराज, धतूरा, आम पत्ते, अशोक पत्ते. पान पत्ते, केले के पत्ते, शमी के पत्ते भोलेनाथ और पार्वती को चढ़ाना चाहिए.
हरतालिका तीज में सुहाग की पिटारी का विशेष महत्व है, इसमें कुमकुम, मेहंदी, बिंदी, सिंदूर, बिछिया, काजल, चूड़ी, कंघी, माहौर समेत अन्य सुहाग की सामग्री शामिल करें.
हरतालिका तीज पर पूजा के लिए सुबह 06 बजकर 07 मिनट से सुबह 08 बजकर 34 मिनट तक शुभ मुहूर्त है.
वहीं प्रदोष काल में चार प्रहर की पूजा शाम 06 बजकर 23 मिनट से शुरू हो जाएगी.
पहला प्रहर - शाम 06 बजकर 23 मिनट से रात 09 बजकर 02 मिनट.
दूसरा प्रहर - रात 09 बजकर 02 मिनट से 19 सितंबर को प्रात: 12 बजकर 15 मिनट तक.
तीसरा प्रहर - प्रात: 12 बजकर 15 मिनट से 19 सितंबर को प्रात: 03 बजकर 12 मिनट तक.
चौथा प्रहर - प्रात: 03 बजकर 12 मिनट से 19 सितंबर को सुबह 06 बजकर 08 मिनट तक.