प्रदोष व्रत की पूजा कब और कैसे करना चाहिए, जानें नियम-विधि
प्रदोष व्रत की पूजा कब और कैसे करना चाहिए, जानें नियम-विधि
प्रदोष व्रत देवो के देव महादेव को समर्पित होता है, इस दिन भगवान शिव की पूजा करने का विशेष महत्व है.
प्रदोष व्रत में भगवान शिव की पूजा शाम के समय सूर्यास्त से 45 मिनट पूर्व और सूर्यास्त के 45 मिनट बाद तक की जाती है.
प्रदोष व्रत पूजा के समय भगवान भोलेनाथ को नारियल का जल, केतकी का फूल, तुलसी और कुमकुम नहीं चढ़ाना चाहिए.
भगवान शिव-पार्वती और नंदी को पंचामृत व गंगाजल से स्नान कराकर बेल पत्र, गंध, चावल, फूल, धूप, दीप, फल, पान, सुपारी और लौंग चढ़ाएं.
भगवान शिव को भांग, धतूरा, फल, फूल, मदार के पत्ते, बेल पत्र, नैवेद्य आदि चीजें अर्पित करें.
पूजा के समय शिव चालीसा और महामृत्युंजय मंत्र का जाप करना बेहद शुभ होता है. फिर भगवान भोलेनाथ की आरती करें.
प्रत्येक मास के त्रयोदशी तिथि के दिन प्रदोष काल में शिव मंदिर में दो दीपक जलाने पर परिवार में होने वाली कलह और अशांति को खत्म होती है.
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