गयाजी में पितृ पक्ष के षष्ठी तिथि को आहवनीयाग्नि पद पर श्राद्ध करने से मिलता है अश्वमेघ यज्ञ का फल

Radheshyam Kushwaha

श्राद्धकर्म करने के लिए गयाधाम पहुंचे श्रद्धालु पितृपक्ष मेला महासंगम के सातवें दिन गुरुवार को यानी षष्ठी तिथि को विष्णुपद मंदिर परिसर में 16 वेदी नामक स्थान में अवस्थित आहवनीयाग्नि पद, सम्याग्निपद, आवसथ्याग्निपद, इंद्र पद, अगस्त्य पद तीर्थों में श्राद्ध करने का विधान है.

Pitru Paksha 2023 | Prabhat khabar

षष्ठी तिथि श्राद्ध

मान्यता है कि आहवनीयाग्नि पद पर श्राद्ध करने से अश्वमेघ यज्ञ करने का फल मिलता है. अश्वमेघ से सभी पापों का शमन होता है. जब पापों का शमन हो जाता है, तब कोई भी क्रिया करते हैं, तो उसका सम्यक फल मिलता है.

Pitru Paksha 2023 Pind Daan | Prabhat khabar

श्राद्ध का महत्व

महाराज दशरथ ने पापों को समूल नष्ट करने के लिए पहले अश्वमेध किया. उसके बाद पुत्रेष्टि यज्ञ किया, तब संतान की प्राप्ति हुई. गया स्थित कुछ तीर्थ पापों को नष्ट करते हैं. सम्याग्नि पद पर श्राद्ध करने से ज्योष्टोम यज्ञ का फल मिलता है.

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श्राद्ध करने के फायदे

आवसथ्य पद पर श्राद्ध करने से पितरों को सोमलोक की प्राप्ति होती है. इंद्र पद से इंद्र लोक और अगस्त्य पद से ब्रह्म लोक की प्राप्ति होती है. तीर्थ श्राद्ध करने वाले फलाकांक्षी पुरुष काम, क्रोध, लोभ को छोड़ कर श्राद्ध क्रिया करें.

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पितरों को सोमलोक की प्राप्ति

ब्रह्मचारी व्रत का पालन करें. एक बार भोजन करें. पृथ्वी पर शयन करें. वाणी में पवित्रता रखें. सभी प्राणियों के प्रति दयाभाव रखें. ऐस करने वाला व्यक्ति ही तीर्थ के फल को प्राप्त करता है.

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ब्रह्मचारी व्रत का पालन करें

धीर पुरुष को चाहिए कि तीर्थ का अनुशरण करने पर पाखंड को पहले ही त्याग दें. किसी के प्रतिग्रह (दान) न लेता हुआ संतुष्ट व पवित्र रहते हुए किसी प्रकार का अहंकार न करते हुए तीर्थ श्राद्ध करने वाला तीर्थ फल प्राप्त करता है.

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