पिंडदान के कर्मकांड से जुड़े लोगों का कहना है कि प्रेतशिला पहाड़ पर आज भी भूतों का डेरा रहता है. मध्य रात्रि में यहां प्रेत के भगवान आते हैं. यही कारण है कि यहां शाम छह बजे के बाद कोई नहीं रुकता है.
गयाजी में पिंडदान करते लोग | प्रभात खबर
ऐसी मान्यता है कि प्रेतशिला पहाड़ पर आज भी भूत व प्रेत का वास रहता है. इस पहाड़ पर जाने के लिए 676 सीढ़ियां बनी हुई हैं. इस पर्वत के शिखर पर प्रेतशिला वेदी है.
गयाजी में श्राद्ध करते हुए | प्रभात खबर
प्रेतशिला पर्वत पर पिंडदान करने से पूर्वज सीधे पिंड ग्रहण करते हैं. इससे पितरों को कष्टदायी योनियों से मुक्ति मिल जाती है.
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प्रेतशिला पर्वत की सबसे ऊंची चोटी पर चढ़ने के लिए वृद्ध व लाचार पिंडदानी खटोले का सहारा लेते हैं. इसके लिए आसपास के करीब डेढ़ सौ परिवार खटोले लेकर खड़े रहते हैं.
श्राद्ध करने के लिए जुटी भीड़ | प्रभात खबर
पिंडदानियों की मांग पर 800 से 2000 रुपये तक प्रति यात्री किराये के रूप में लेते हैं. तब उन्हें खटोले से प्रेतशिला पर्वत की सबसे ऊंची चोटी तक लाने व ले जाने का काम करते हैं.
पिंडदान के लिए जुटी भीड़ | प्रभात खबर