'नो शेव नवंबर' मना रहे बहुत से लोग इसे मनाए जाने के कारणों से अनजान हैं. तो चलिए जानते हैं कि आखिर नवंबर में ऐसा क्या है जो हर साल इसी महीने में लोगों का अपने बालों से प्यार जाग उठता है.
‘नो-शेव नवंबर’ का लक्ष्य कैंसर के प्रति जागरूकता फैलाना और मरीजों की आर्थिक मदद करना है. लोगों से कहा जा रहा है कि वे शेविंग का यह पैसा बचाकर फाउंडेशन को दान करें, जो इसे कैंसर रोगियों की देखभाल पर खर्च करेगा.
‘नो शेव नवंबर’ अभियान की शुरूआत एक अमेरिकी NGO ‘मैथ्यू हिल फाउंडेशन’ ने साल 2009 में की थी.
यह फाउंडेशन इन पैसों को उन संस्थाओं तक पहुंचाता है जो कैंसर से बचाव, इलाज, रिसर्च और एजुकेशन के लिए काम कर रही हैं. इसकी शुरुआत के पीछे की कहानी कुछ ऐसी है कि, नवंबर 2007 में शिकागो में रहने वाले मैथ्यू हिल की कैंसर से लड़ते हुए मौत हो गई. इसके बाद उनके आठ बच्चों ने अपने पिता को सम्मान देने और उन्हीं की तरह कैंसर से लड़ रहे लोगों की मदद के लिए कुछ करने का फैसला लिया.
हिल फाउंडेशन का कहना है कि स्कूल या ऑफिस में ड्रेस कोड का पालन करना होता है. यानी हो सकता है आपका बॉस बढ़ी हुई दाढ़ी पर आपत्ति ले, लेकिन यदि उन्हें इस नेक काम के बारे में पता चलेगा तो वो भी प्रोत्साहित होंगे और आपके प्रति सम्मान का भाव बढ़ेगा.
इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के आंकड़ों के अनुसार, 2016 में भारत में 14 लाख कैंसर रोगी थे. 2020 तक 17 लाख से अधिक नए कैंसर के मामले जुड़ जाएंगे और आठ लाख से अधिक लोगों की मौतों की आशंका है.
इसी तरह 2004 में शुरू किया गया मोवेंबर (Movember) भी एक जागरूकता अभियान है. ये दो शब्दों मुश्टैश (मूंछ) और नवंबर को मिलाकर बनाया गया शब्द है. नो शेव नवंबर जहां सिर्फ कैंसर अवेयरनेस तक सीमित है वहीं मोवेंबर इसके साथ-साथ पुरुषों के हेल्थ और लाइफस्टाइल की तरफ अवेयर करने का काम करता है.