देवी शैलपुत्री - हरड़ हिमावती औषधि हरड़ या हरीतकी देवी शैलपुत्री का ही एक रूप हैं, जो सात प्रकार की होती है. इससे पेट संबंधी समस्याएं नहीं होती और ये अल्सर में काफी फायदेमंद है.
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देवी ब्रह्मचारिणी -ब्राह्मी देवी का दूसरा रूप ब्रह्मचारिणी का है और उनसे संबंधित औषधिय ब्राह्मी है. ब्राह्मी आयु व याददाश्त बढ़ाने के साथ ही रक्त विकारों को दूर करने वाली औषधिय मानी गई है.मधुर स्वर प्रदान करने के कारण इसे देवी सरस्वती से भी जोड़ा जाता है.
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देवी चंद्रघंटा - चन्दुसूर चन्दुसूर या चमसूर धनिए के समान दिखने वाला ऐसा पौधा है, जिसकी पत्तियां सब्जी बनाने के लिए यूज होती है. नियमित इसका सेवन मोटापा कम करने के साथ इम्यूनिटी बढ़ाता है.
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देवी कुष्माण्डा - पेठा नवदुर्गा का चौथा रूप कुष्माण्डा है. इस औषधि से पेठा मिठाई बनती है, इसलिए इस रूप को पेठा कहते हैं. इसे कुम्हड़ा भी कहते हैं जो पुष्टिकारक, वीर्यवर्धक व रक्त के विकार को ठीक कर पेट को साफ करने में सहायक है. मानसिक रूप से कमजोर व्यक्ति के लिए यह अमृत समान .
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देवी स्कंदमाता - अलसी अलसी के छोटे दानों को मां स्कंद माता से जोड़ा गया है. इसका सेवन करने से शरीर में वात, पित्त और कफ से जुड़े रोग दूर होते हैं.
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षष्ठम कात्यायनी - मोइया नवदुर्गा का छठा रूप कात्यायनी है। इसे आयुर्वेद में कई नामों से जाना जाता है जैसे अम्बा, अम्बालिका, अम्बिका. इसके अलावा इसे मोइया अर्थात माचिका भी कहते हैं. यह कफ, पित्त, अधिक विकार एवं कंठ के रोग का नाश करती है.
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देवी कालरात्रि - नागदोन नवदुर्गा का अष्टम रूप महागौरी है, जिसे प्रत्येक व्यक्ति औषधि के रूप में जानता है क्योंकि इसका औषधि नाम तुलसी है जो प्रत्येक घर में लगाई जाती है. तुलसी सात प्रकार की होती है- सफेद तुलसी, काली तुलसी, मरुता, दवना, कुढेरक, अर्जक और षटपत्र.
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देवी महागौरी - तुलसी नवदुर्गा का आंठवा रूप महागौरी को औषधि नाम तुलसी के रूप में भी जाना जाता है. जहां धार्मिक नजरिए से घर में तुलसी लगाना शुभ माना जाता है वहीं, सेहत के लिए भी यह रामबाण औषधी है. तुलसी का काढ़ा या चाय रोजाना पीने से खून साफ होता है.
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देवी सिद्धिदात्री - शतावरी शतावरी को माता का नौवां रूप माना गया है. मानसिक बल और पुरुषों में वीर्य के लिए इसे सर्वोत्तम माना जाता है. साथ ही वात और पित्त संबन्धी विकारों को दूर करने में सहायक है. इसके नियमित सेवन से रक्त विकार दूर होते हैं.
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