पहला दिन - मां शैलपुत्री प्रथम नवरात्र में मां दुर्गा की शैलपुत्री के रूप में पूजा की जाती है. मां का वाहन वृषभ है तथा इन्हें गाय का घी अथवा उससे बने पदार्थों का भोग लगाया जाता है
दूसरा दिन - मां ब्रह्मचारिणी दूसरे दिन होती है मां ब्रह्मचारिणी की पूजा अर्चना. और इन देवी को लगाया जाता है शक्कर और पंचामृत का भोग.
तीसरा दिन- मां चंद्रघंटा मां के इस रूप में मस्तक पर घंटे के आकार का आधा चन्द्र बना होने के कारण इनका नाम चन्द्रघंटा पड़ा. शेर पर सवारी करने वाली माता को दूध का भोग प्रिय है.
चौथा दिन - मां कुष्मांडा नवरात्रि के चौथे दिन मां कुष्मांडा की पूजा का विधान है. जिन्हे मालपुआ का भोग लगाने से समस्त इच्छाओं की पूर्ति होती है.
पांचवां दिन- मां स्कंदमाता पंचम नवरात्र में आदिशक्ति मां दुर्गा की स्कंदमाता के रूप में पूजा होती है. मां का वाहन सिंह है और इन्हें केले का भोग अति प्रिय है.
छठां दिन - मां कात्यायनी मां कात्यायनी को अगर मीठे पान का भोग लगाया जाए तो मां को आसानी से प्रसन्न किया जा सकता है. मीठा पान मां को अर्पित करने से साधक का सौंदर्य बढ़ता है
सातवां दिन- मां कालरात्रि सभी राक्षसों के लिए कालरूप बनकर आई मां दुर्गा के इस रूप की पूजा सातवें नवरात्र में की जाती है. मां की कृपा से भानूचक्र जागृत होता है मां को गुड़ का भोग अति प्रिय है.
आठवां दिन - देवी महागौरी आठवां दिन महागौरी की उपासना का दिन है. इस दिन मां को नारियल का भोग लगाया जाता है.
नौवां दिन - मां सिद्धिदात्री नौवें नवरात्र में मां के इस रूप की पूजा एवं आराधना की जाती है, जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है मां का यह रूप साधक को सभी प्रकार की ऋद्धियां एवं सिद्धियां प्रदान करने वाला है. मां को खीर अति प्रिय है अत: मां को खीर का भोग लगाना चाहिए.