क्या आप जानते है कलश यात्रा में शामिल होने का महत्व?

क्या आप जानते है कलश यात्रा में शामिल होने का महत्व?

बलिया के सिंहपुर में लक्ष्मी नारायण महायज्ञ और संगीतमय श्रीमद् भागवत महापुराण के प्रथम दिवस कलश यात्रा निकाली गई.

कलश यात्रा के दौरान सैकड़ों महिलाएं सिर पर कलश लिए चल रहीं थीं, इसके बाद कलश यात्रा पुन: यज्ञ स्थल पर पहुंची.

धार्मिक मान्यता है कि सिर पर कलश रखने वाले श्रद्धालुओं की आत्मा पवित्र व निर्मल होती है.

शास्त्रों के अनुसार भागवत कथा का श्रवण करने से मनुष्य के जन्म-जन्मांतर के पाप नष्ट हो जाते हैं.

कलश यात्रा में में तीनों देव ब्रम्हा, विष्णु व महेश के साथ-साथ 33 कोटि देवी देवता स्वयं कलश में विराजमान होते हैं.

कलश को धारण करने वाले जहां से भी ग्राम का भ्रमण करता है वहीं की धरा स्वयं सिद्व हो जाती है.

जो अपने सिर पर कलश धारण करता है उसकी आत्मा को ईश्वर पवित्र और निर्मल करते हुए अपनी शरण में ले लेते हैं.

कलश यात्रा में शामिल होने वाले लोगों को तमाम रोग दोष विकारों का भगवान हरण कर देते है.

कलश सुख-समृद्धि का प्रतीक है, जो लोग कलश यात्रा में चलते हैं सुख-समृद्धि उनका साथ कभी नहीं छोड़ती हैं.

देवी पूजा और तमाम मांगलिक कार्यों में प्रयोग लाए जाने वाले कलश को ब्रह्मांड का प्रतीक माना जाता है.

पौराणिक मान्यता है कि देवी पूजा में प्रयोग लाया जाने वाला कलश समुद्र मंथन में निकले अमृत कलश के ही समान होता है.