कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण के कारण अस्पतालों में आईसीयू बेडों की कमी है तो कहीं ऑक्सीजन के सिलेंडरों की, ऐसे में रोगियों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है
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देशभर के विशेषज्ञ इस कठिन समय से उबरने के लिए ऑक्सीजन की पूर्ति किए जाने की मांग के साथ ही कुछ ऐसी चीजों के बारे में भी लोगों को जागरूक करने की कोशिश कर रहे हैं
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एक स्वस्थ युवा प्रति मिनट 12 से 20 बार सांस लेता और छोड़ता है। लेकिन, इसकी सही दर प्रति मिनट 6 से 8 बार है
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कोविड मरीजों के लिए प्रोन पोजिशन (Prone Position) उसी विकल्प में से एक है या कहें कि यह संजीवनी है. यह ऑक्सीजन वेंटिलेटर का सरल विकल्प है जिसे अपनाकर 80 फीसदी तक मरीज के ऑक्सीजन स्तर को ठीक रखा जा सकता है और मृत्यु के डर से भी बचा जा सकता है.
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प्रोन पोजिशन की प्रक्रिया व्यक्ति को पेट के बल लिटाया जाता है. इसके बाद उसकी गर्दन के नीचे, साथ ही पेट और घुटनों से ऊपर दो तकिए लगाए जाते हैं. मरीज को आराम से लेटने और सांस लेने के लिए कहा जाता है. ऐसा कम से कम 40 मिनट तक करने से शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ने लगती है.
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डॉक्टर मरीज को प्रोन पोजिशन की सलाह देते हैं, ताकि पेट के बल लेटने से फेफड़ों (Lungs) में ऑक्सीजनेशन अच्छे से हो और कार्बन डाई ऑक्साइड गैस बेहतर तरीके से बाहर निकल सके.
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शरीर में ऑक्सीजन लेवल मेंटेंन रखने के लिए ताजी हवा में सांस लें. इसके लिए घर की खिड़कियां खुली रखें. बालकनी के दरवाजे खुले रखें. खूब पानी पीएं, गले को सूखा होने ना दें
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