झारखंड में पेड़ों पर अत्याचार : जिनसे चलती हैं हमारी सांसें, उनकी सांसें रोक रहे हम, देखें विजुअल्स

Mithilesh Jha

फ्लाई ओवर का निर्माण करना हो या सड़कों का चौड़ीकरण. बीच में जहां पेड़ मिला, उसे काट डालने का चलन बन गया है.

झारखंड में पेड़ों पर अत्याचार. | Raj Kumar Sharma

केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी बार-बार कहते हैं कि पेड़ को काटने की बजाय उसे शिफ्ट किया जाना चाहिए. लेकिन ऐसा हो नहीं रहा है.

झारखंड में पेड़ों पर अत्याचार. | Raj Kumar Sharma

रांची में सड़क चौड़ीकरण करना हो और बीच में पेड़ आ जाये, तो उसकी जड़ों तक की पिचिंग कर दी जाती है, जिससे उसकी जड़ों को पानी मिलना बंद हो जाता है. पेड़ सूख जाते हैं.

झारखंड में पेड़ों पर अत्याचार. | Raj Kumar Sharma

विशाल-विशाल पेड़ों की जड़ों को कंक्रीट और अलकतरा से बंद कर दिया जा रहा है. इससे पेड़ सांस नहीं ले पा रहे और उनका जीवन समय से पहले खत्म हो जाता है.

झारखंड में पेड़ों पर अत्याचार. | Raj Kumar Sharma

पेड़ों को काटने और उसकी जड़ों को बंद करने का यह सिलसिला जारी रहा, तो रांची में लोगों का सांस लेना भी एक दिन मुश्किल हो जायेगा, क्योंकि ये पेड़ ज्यादा दिन जीवित नहीं रहेंगे.

झारखंड में पेड़ों पर अत्याचार. | Raj Kumar Sharma

पेड़ की जड़ों के पास कंक्रीट या पेवर ब्लॉक लगा देने से पानी रिचार्ज नहीं होता है. इसका नुकसान पेड़ों को तो होता ही है, इंसानों को भी भुगतना पड़ता है. झारखंड में पेयजल संकट का एक कारण कंक्रीट भी है.

झारखंड में पेड़ों पर अत्याचार. | Raj Kumar Sharma

इससे पेड़ का विकास रुक जाता है और एक समय के बाद पेड़ सूखने लगता है. रांची के डीएफओ कहते हैं कि इसको रोकने का वन विभाग का कोई नियम नहीं है. नगर निगम चाहे तो इस संबंध में दिशा-निर्देश जारी कर सकता है.

झारखंड में पेड़ों पर अत्याचार. | Raj Kumar Sharma

पेड़ की जड़ों में बैठने के लिए सीमेंट का चबूतरा बना दिया, क्योंकि यहां गर्मी से राहत मिलती है. लेकिन राहत देने वाले पेड़ों की सांस थम रही है, इसकी चिंता कोई नहीं कर रहा.

झारखंड में पेड़ों पर अत्याचार. | Raj Kumar Sharma