यह लाइन तो सुनी ही होगी ना, कि बेटा भाग्य से पैदा होते हैं और बेटियां सौभाग्य से.अंतर्राष्ट्रीय बेटी दिवस समारोह पहली बार भारत में आयोजित किया गया था, क्योंकि इस दिन की स्थापना एक बालिका की स्वीकृति के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए की गई थी.
हालांकि, कुछ देश इसे अलग-अलग दिनों में मनाते हैं. इस साल अंतर्राष्ट्रीय बेटी दिवस 26 सितंबर को मनाया जा रहा है.
बेटियां अपने साथ पूरे परिवार की किस्मत बदल देती है. उन्हें खुला आसमान दिया जाए तो वह ऊंची उड़ान भर सकती है.
पितृसत्तात्मक समाजों में, बेटियों को अक्सर बेटों की तुलना में कम पारिवारिक अधिकार मिलते हैं. इसलिए, यह दिन तारीफ करने और बेटियों को यह बताने के लिए मनाया जाता है कि वे कितनी खास हैं. यह दिन बालिकाओं के लिए जागरूकता बढ़ाने और समानता को प्रोत्साहित करने के लिए भी है.
दिन यह लोगों को जागरूक करने के लिए भी मनाया जाता है कि लड़कियों को समान अधिकार और अवसर मिलने चाहिए.
समाज पुरुष प्रधान रहा है और महिलाओं को वोट देने का मूल अधिकार 1920 में काफी संघर्ष के बाद प्राप्त हुआ था. इसलिए समाज में लड़कियों को लेकर कलंक को मिटाने के लिए अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस जैसे दिनों को मनाना और भी जरूरी हो जाता है.
हर साल इस दिन को घर के स्तर पर जागरूकता कार्यक्रमों और गतिविधियों के साथ मनाया जाता है जैसे - माता-पिता बेटी के साथ समय बिताते हैं, फिल्में देखते हैं, घर के बने भोजन का आनंद लेते हैं, खरीदारी करते हैं, आदि.