वैष्णो देवी मंदिर हमेशा से ही श्रद्धालुओं के आस्था का केंद्र रहा है. माता का जयकारा लगाते हर साल हजारों की संख्या में भक्त वैष्णों देवी जाते है. ऐसे में अगर आप भी वैष्णों देवी जाने का प्लान बना रहे हैं, तो उससे पहले कुछ जरूरी बात जान ले, जिससे यात्रा करने में सुविधा होगी.
VAISHNO DEVI | TWITTER/ SHRINE BOARD
त्रिकुट पर्वत पर वैष्णो देवी मंदिर तक पहुंचने के लिए भक्तों को 13 किलोमीटर की चढ़ाई करनी पड़ती है. ऐसे में भक्तों को गर्मियों के दिन में वैष्णों देवी जाना चाहिए क्योंकि उस समय पहाड़ों का मौसम अच्छा रहता है. वहीं बरसात के समय में चट्टानें गिरने का डर रहता है.
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यात्रा के दौरान सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि पर्वत पर जाने से पहले आप काउंटर पर जाकर पंजीकरण करवाएं, पंजीकरण के बाद आपको एक पर्ची मिलती है. जिसको साथ में लेकर चढ़ाई करनी होगी. बता दें कि पर्ची के जारी होने के बाद आपको 6 घंटे के अंदर बाणगंगा में पहली चेक पोस्ट को पार करना होगा, अन्यथा आपको एंट्री नहीं मिलेगी.
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पवित्र तीर्थ की यात्रा के बीच में अर्धकुंवारी मंदिर पड़ता है. ऐसे में आप यात्रा के दौरान अर्धकुंवारी की गुफा में जरूर जाए. ऐसी मान्यता है कि इश मंदिर में दर्शन किए बिना मां वैष्णो देवी की तीर्थयात्रा अधूरी मानी जाती है.
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चढ़ाई शुरू करने के दौरान आपके पास कई विकल्प होंगे. आप घोड़े, पालकी, सीढ़ी या फिर ट्रैक से जा सकते हैं. पहाड़ पर जाने का अच्छा समय रात में माना जाता है, क्योंकि उस समय ज्यादा भीड़ नहीं होती और आराम से यात्री यात्रा कर सकते हैं, वहीं अल सुबह में पहाड़ की चोटियों के बीच से उगते सूरज का अद्भुत नजारा भी देखने को मिलेगा.
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मां वैष्णों देवी के मंदिर में दर्शन के दौरान काफी सिक्योरिटी रहती है, तो अपने साथ कोई भी ऐसी साम्री न रखे, जिससे आपको परेशानी हो, मंदिर परिसर में लॉकर होते है, उसे पर्स, बेल्ट, मोबाइल, कैमरा आदि जमा करवा दें.
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पहाड़ पर चढ़ाई के दौरान आपको दोनों तरफ खाने-पीने की सामर्गी मिलेगी. साथ ही मां वैष्णों के परिसर में आपको ठहरने की भी सुविधा मिलेगी.
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