प्रसिद्ध जर्नल द लांसेट ने अपनी एक रिपोर्ट में ऐसा दावा किया है जिससे चिंता बढ गई है. दरअसल कहा जा रहा है कि कोरोना का ज्यादातर ट्रांसमिशन हवा के रास्ते से हो रहा है.
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कोरोना वायरस हवा के रास्ते फैल रहा है और इसके लिए जर्नल ने 10 कारण भी बताने का काम किया है.
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वायरस के सुपरस्प्रेडिंग इवेंट तेजी से SARS-CoV-2 वायरस को आगे ले जाने में सहायक है. वास्तव में, यह महामारी के शुरुआती वाहक हो सकते हैं.
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ऐसे ट्रांसमिशन का बूंदों के बजाय हवा के माध्यम से होना ज्यादा आसान है.
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कोरेंटिन होटलों में एक-दूसरे से सटे कमरों में रह रहे लोगों के बीच यह ट्रांसमिशन नजर आया, जबकि ये लोग एक-दूसरे के कमरे में नहीं गए.
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विशेषज्ञों का दावा है कि सभी कोरोना संक्रमण के मामलों में 33 प्रतिशत से 59 प्रतिशत तक मामलों में एसिम्प्टोमैटिक या प्रिजेप्टोमैटिक ट्रांसमिशन जिम्मेदार हो सकते जो खांसने या छींकने वाले नहीं हैं.
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वायरस के ट्रांसमिशन की बात करें तो ये आउटडोर की तुलना में इंडोर में अधिक होता है और इंडोर में यदि वेंटिलेशन हो तो संभावना बहुत कम हो जाती है.
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विशेषज्ञों का कहना है कि SARS-CoV-2 हवा में पाया गया है. लैब में SARS-CoV-2 वायरस कम से कम 3 घंटे तक हवा में संक्रामक स्थिति में मौजूद रहता है. कोरोना के मरीजों के कमरों में जबकि कार में हवा के सैंपल में वायरस की पुष्टि हुई है.
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SARS-CoV-2 वायरस कोरोना मरीजों वाले अस्पतालों के एयर फिल्टर्स और बिल्डिंग डक्ट्स में पाये गये हैं. यहां केवल हवा के जरिए ही पहुंचा जा सकता है.
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विशेषज्ञों की मानें तो हवा से वायरस नहीं फैलता, इसे साबित करने के लिए पर्याप्त सबूत नहीं हैं.
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