Teachers’ Day 2021: चाणक्य एक योग्य और कठोर अनुशासन को मानने वाले शिक्षक थे. वे विख्यात तक्षशिला विश्वविद्यालय के आचार्य थे. उन्होंने चाणक्य नीति में शिक्षा के महत्व, शिष्य के रूप में एक विद्यार्थी का धर्म और गुरु को अपने शिष्यों के प्रति किस तरह की जिम्मेदारी का निर्वहन करना चाहिए विस्तार से बताया है.
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गुरु बनना सबसे कठिन कार्यों में से एक है. गुरु तभी बन सकता है, जब व्यक्ति इंद्रियों को अपने वस में कर ले. वह अपने शिष्यों के प्रश्नों और उनकी जिज्ञासाओं को पूर्ण रूप से शांत कर सकता है.
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गुरु को ज्ञानी और गंभीर होना चाहिए. गुरु को अधीर नहीं होना चाहिए, गुरु का चित्त और मन सागर की तरह शांत होना चाहिए. जिसे गुरु में ये भाव दिखाई दें वही सच्चा और सही गुरु है.
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गुरु को लोभ, मोह और अहंकार से दूर रहना चाहिए. गुरु को सदैव धर्म और नीति का पालन करते हुए अपने कर्म का निर्वहन करने की जिज्ञासा होनी चाहिए.
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श्रेष्ठ गुरु वहीं है जो अपने शिष्यों को एक विशेष दृष्टिाकोण प्रस्तुत करें. जिससे वे अपना और समाज का भला कर सके.
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शिष्य को ऐसा बनाए जो राष्ट्र के निर्माण में अपना सर्वश्रेष्ठ योगदान प्रस्तुत कर सके. उन्हें अहंकार से दूर रखे.
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Posted by: Radheshyam Kushwaha
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